भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(9 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 193 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<div class='box' style="background-color:#DD5511;width:100%; align:center"><div class='boxtop'><div></div></div>
+
<div style="background:#eee; padding:10px">
<div class='boxheader' style='background-color:#DD5511; color:#ffffff'>'''&nbsp;सप्ताह की कविता'''</div>
+
<div style="background: transparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:0px inset #aaa; padding:10px">
<div id="kkHomePageSearchBoxDiv" class='boxcontent' style='background-color:#F5CCBB;border:1px solid #DD5511;'>
+
<!----BOX CONTENT STARTS------>
+
&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''उसकी थकान<br>
+
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[भगवत रावत]]
+
<pre style="overflow:auto;height:21em;">
+
कोई लम्बी कहानी ही
+
  
बयान कर सके शायद
+
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
 +
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
उसकी थकान
+
<div style="text-align: center;">
 +
रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 +
</div>
  
जो मुझसे
+
<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
 +
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
 +
अपरिचित पास आओ
  
दो बच्चों की दूरी पर
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
 +
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
 +
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
 +
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
 +
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
 +
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
न जाने कब से
+
सबमें अपनेपन की माया
 
+
अपने पन में जीवन आया
क्या-क्या सिलते-सिलते
+
</div>
 
+
</div></div>
हाथों में
+
 
+
सुई धागा लिए हुए ही
+
 
+
सो गई है ।
+
 
+
</pre>
+
<!----BOX CONTENT ENDS------>
+
</div><div class='boxbottom'><div></div></div></div>
+

19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया