भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नक़्शे-ख्याल दिल से / जोश मलीहाबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=जोश मलीहाबादी | + | |रचनाकार=जोश मलीहाबादी |
+ | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatGhazal}} | |
− | नक़्श-ए-ख़याल दिल से मिटाया नहीं हनोज़ | + | <poem> |
− | बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़ | + | नक़्श-ए-ख़याल दिल से मिटाया नहीं हनोज़ |
+ | बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़ | ||
− | वो सर जो तेरी राहगुज़र में था सज्दा-रेज़ | + | वो सर जो तेरी राहगुज़र में था सज्दा-रेज़ |
− | मैं ने किसी क़दम पे झुकाया नहीं हनोज़ | + | मैं ने किसी क़दम पे झुकाया नहीं हनोज़ |
− | महराब-ए-जाँ में तूने जलाया था ख़ुद जिसे | + | महराब-ए-जाँ में तूने जलाया था ख़ुद जिसे |
− | सीने का वो चिराग़ बुझाया नहीं हनोज़ | + | सीने का वो चिराग़ बुझाया नहीं हनोज़ |
− | बेहोश हो के जल्द तुझे होश आ गया | + | बेहोश हो के जल्द तुझे होश आ गया |
− | मैं बदनसीब होश में आया नहीं हनोज़ | + | मैं बदनसीब होश में आया नहीं हनोज़ |
− | मर कर भी आयेगी ये सदा क़ब्र-ए-"जोश" से | + | मर कर भी आयेगी ये सदा क़ब्र-ए-"जोश" से |
− | बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़ < | + | बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़ |
+ | <poem> |
21:24, 5 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
नक़्श-ए-ख़याल दिल से मिटाया नहीं हनोज़
बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़
वो सर जो तेरी राहगुज़र में था सज्दा-रेज़
मैं ने किसी क़दम पे झुकाया नहीं हनोज़
महराब-ए-जाँ में तूने जलाया था ख़ुद जिसे
सीने का वो चिराग़ बुझाया नहीं हनोज़
बेहोश हो के जल्द तुझे होश आ गया
मैं बदनसीब होश में आया नहीं हनोज़
मर कर भी आयेगी ये सदा क़ब्र-ए-"जोश" से
बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़