भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चार शे’र / यगाना चंगेज़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: क्या ख़बर थी दिल-सा शाहं-शाह आख़िर एक दिन। इश्क़ के हाथों गदाओं-का...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=यगाना चंगेज़ी | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | <poem> | ||
क्या ख़बर थी दिल-सा शाहं-शाह आख़िर एक दिन। | क्या ख़बर थी दिल-सा शाहं-शाह आख़िर एक दिन। | ||
− | |||
इश्क़ के हाथों गदाओं-का-गदा<ref>भिक्षुक</ref> हो जाएगा॥ | इश्क़ के हाथों गदाओं-का-गदा<ref>भिक्षुक</ref> हो जाएगा॥ | ||
− | |||
किस दिले-बेक़रार को तूने यह वलवला दिया। | किस दिले-बेक़रार को तूने यह वलवला दिया। | ||
− | |||
देना न देना एक है, ज़र्फ़ से<ref>आवश्यकता से अधिक</ref> जब सिवा दिया॥ | देना न देना एक है, ज़र्फ़ से<ref>आवश्यकता से अधिक</ref> जब सिवा दिया॥ | ||
− | |||
हुस्न चमक गया तो क्या, बू-ए-वफ़ा तो उड़ गई। | हुस्न चमक गया तो क्या, बू-ए-वफ़ा तो उड़ गई। | ||
− | |||
इस नई रोशनी ने आह दिल का कँवल बुझा दिया॥ | इस नई रोशनी ने आह दिल का कँवल बुझा दिया॥ | ||
− | |||
ज़िन्दा रक्खा है सिसकने के लिए। | ज़िन्दा रक्खा है सिसकने के लिए। | ||
− | |||
वाह! अच्छे दोस्त से पाला पड़ा॥ | वाह! अच्छे दोस्त से पाला पड़ा॥ | ||
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
{{KKMeaning}} | {{KKMeaning}} |
13:22, 9 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
क्या ख़बर थी दिल-सा शाहं-शाह आख़िर एक दिन।
इश्क़ के हाथों गदाओं-का-गदा<ref>भिक्षुक</ref> हो जाएगा॥
किस दिले-बेक़रार को तूने यह वलवला दिया।
देना न देना एक है, ज़र्फ़ से<ref>आवश्यकता से अधिक</ref> जब सिवा दिया॥
हुस्न चमक गया तो क्या, बू-ए-वफ़ा तो उड़ गई।
इस नई रोशनी ने आह दिल का कँवल बुझा दिया॥
ज़िन्दा रक्खा है सिसकने के लिए।
वाह! अच्छे दोस्त से पाला पड़ा॥
शब्दार्थ
<references/>