भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क़िताब / इला प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इला प्रसाद }} <poem> कम्प्यूटर के सामने बैठकर पत्र, प...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=इला प्रसाद
 
|रचनाकार=इला प्रसाद
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
कम्प्यूटर के सामने बैठकर
 
कम्प्यूटर के सामने बैठकर

20:22, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कम्प्यूटर के सामने बैठकर
पत्र, पत्रिकाएँ पढ़ते
सीधे- कुबड़े, बैठे- बैठे
जब अकड़ जाती है देह
दुखने लगती है गर्दन
धुँधलाने लगते हैं शब्द
और गड्ड्मड्ड होने लगती हैं तस्वीरें
तो बहुत जरूरी लगता है
किताब का होना ।

किताब,
जिसे औंधे - लेटे
दीवारों से पीठ टिकाए
कभी भी, कहीं भी
गोदी में लेकर
पढ़ा जा सकता था
सीएडी (कम्प्यूटर एडेड डिसीज़) के तमाम खतरो को
नकारते हुए ।

किताब जो जाने कब
चुपके से
गायब हो गई
मेरी दुनिया से
बहुत याद आई आज !