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नाम प्रियंकर . गंगा-यमुना के दोआबे में जन्म और बचपन बीता . अर्ध-शुष्क मरुस्थलीय इलाके में आगे की पढाई-लिखाई . राजस्थान विश्वविद्यालय से अँग्रेजी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि . पीएचडी और एमबीए अधबीच में छोडा़ . बेहद आलसी किन्तु यारबाश बतोकड़ . मूलतः छापे की दुनिया का आदमी . परिचय में लोग-बाग जब कवि,सम्पादक,लेखक आदि-आदि कहते हैं तब ऊपर से गुरु-गम्भीर दिखाई देने का पूरा प्रयास करते हुए भी मन किलक-किलक उठता है . लेखन की शुरुआत सोलह साल पहले ‘धर्मयुग’ से की . कोलकाता से प्रकाशित प्रौद्योगिकी-केन्द्रित पत्रिका ‘दर्पण’ का सम्पादक तथा साहित्यिक और सामाजिक आलोचना की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘समकालीन सृजन’ के सम्पादक-मण्डल का सदस्य . उत्तर-आधुनिक बाँग्ला कविता का हिन्दी अनुवाद किया तथा समकालीन सृजन के ‘धर्म,आतंकवाद और आज़ादी’ अंक का सम्पादन . संस्कृतिकर्मी के रूप में मित्रमण्डली के साथ मिल कर सांस्कृतिक संगठन ‘ कला सृजन अकादमी’ की स्थापना . कन्चौसी (ज़िला-इटावा/कानपुरदेहात/औरैया -उ.प्र.), गंगापुर सिटी, नवलगढ, सीकर, अलवर,सरदारशहर, जयपुर(राजस्थान) और पन्जिम(गोआ) में उड़ने के बाद पतंग अब हुगली के किनारे कोलकाता के आसमान पर . यानी धुर पश्चिम से धुर पूर्व की ओर रुख . कबीर-तुलसीदास-भारतेन्दु-प्रेमचन्द-निराला-नागार्जुन-केदार-भवानी भाई-फणीश्वरनाथ रेणु-राही मासूम रज़ा-श्रीलाल शुक्ल-मनोहरश्याम जोशी-रघुवीर सहाय-केदारनाथ सिंह-लीलाधर जगूडी़-विजेन्द्र-भगवत रावत और उदयप्रकाश से ले कर गोर्की-स्टाइनबेक-मार्खेज़-डेरेक वॉल्काट-हैरल्ड पिन्टर और ओरहान पामुक तक का रसिया पाठक और जुगालीकार . ब्लॉग — चिट्ठा — आदि की आभासी दुनिया में नया घुसपैठिया . सार्वजनिक क्षेत्र के एक वैज्ञानिक संस्थान से सम्बद्ध . कोलकाता में एक बीबी और दो बच्चे मेरे संरक्षक ह | नाम प्रियंकर . गंगा-यमुना के दोआबे में जन्म और बचपन बीता . अर्ध-शुष्क मरुस्थलीय इलाके में आगे की पढाई-लिखाई . राजस्थान विश्वविद्यालय से अँग्रेजी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि . पीएचडी और एमबीए अधबीच में छोडा़ . बेहद आलसी किन्तु यारबाश बतोकड़ . मूलतः छापे की दुनिया का आदमी . परिचय में लोग-बाग जब कवि,सम्पादक,लेखक आदि-आदि कहते हैं तब ऊपर से गुरु-गम्भीर दिखाई देने का पूरा प्रयास करते हुए भी मन किलक-किलक उठता है . लेखन की शुरुआत सोलह साल पहले ‘धर्मयुग’ से की . कोलकाता से प्रकाशित प्रौद्योगिकी-केन्द्रित पत्रिका ‘दर्पण’ का सम्पादक तथा साहित्यिक और सामाजिक आलोचना की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘समकालीन सृजन’ के सम्पादक-मण्डल का सदस्य . उत्तर-आधुनिक बाँग्ला कविता का हिन्दी अनुवाद किया तथा समकालीन सृजन के ‘धर्म,आतंकवाद और आज़ादी’ अंक का सम्पादन . संस्कृतिकर्मी के रूप में मित्रमण्डली के साथ मिल कर सांस्कृतिक संगठन ‘ कला सृजन अकादमी’ की स्थापना . कन्चौसी (ज़िला-इटावा/कानपुरदेहात/औरैया -उ.प्र.), गंगापुर सिटी, नवलगढ, सीकर, अलवर,सरदारशहर, जयपुर(राजस्थान) और पन्जिम(गोआ) में उड़ने के बाद पतंग अब हुगली के किनारे कोलकाता के आसमान पर . यानी धुर पश्चिम से धुर पूर्व की ओर रुख . कबीर-तुलसीदास-भारतेन्दु-प्रेमचन्द-निराला-नागार्जुन-केदार-भवानी भाई-फणीश्वरनाथ रेणु-राही मासूम रज़ा-श्रीलाल शुक्ल-मनोहरश्याम जोशी-रघुवीर सहाय-केदारनाथ सिंह-लीलाधर जगूडी़-विजेन्द्र-भगवत रावत और उदयप्रकाश से ले कर गोर्की-स्टाइनबेक-मार्खेज़-डेरेक वॉल्काट-हैरल्ड पिन्टर और ओरहान पामुक तक का रसिया पाठक और जुगालीकार . ब्लॉग — चिट्ठा — आदि की आभासी दुनिया में नया घुसपैठिया . सार्वजनिक क्षेत्र के एक वैज्ञानिक संस्थान से सम्बद्ध . कोलकाता में एक बीबी और दो बच्चे मेरे संरक्षक ह |
13:11, 24 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
नाम प्रियंकर . गंगा-यमुना के दोआबे में जन्म और बचपन बीता . अर्ध-शुष्क मरुस्थलीय इलाके में आगे की पढाई-लिखाई . राजस्थान विश्वविद्यालय से अँग्रेजी और हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधि . पीएचडी और एमबीए अधबीच में छोडा़ . बेहद आलसी किन्तु यारबाश बतोकड़ . मूलतः छापे की दुनिया का आदमी . परिचय में लोग-बाग जब कवि,सम्पादक,लेखक आदि-आदि कहते हैं तब ऊपर से गुरु-गम्भीर दिखाई देने का पूरा प्रयास करते हुए भी मन किलक-किलक उठता है . लेखन की शुरुआत सोलह साल पहले ‘धर्मयुग’ से की . कोलकाता से प्रकाशित प्रौद्योगिकी-केन्द्रित पत्रिका ‘दर्पण’ का सम्पादक तथा साहित्यिक और सामाजिक आलोचना की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘समकालीन सृजन’ के सम्पादक-मण्डल का सदस्य . उत्तर-आधुनिक बाँग्ला कविता का हिन्दी अनुवाद किया तथा समकालीन सृजन के ‘धर्म,आतंकवाद और आज़ादी’ अंक का सम्पादन . संस्कृतिकर्मी के रूप में मित्रमण्डली के साथ मिल कर सांस्कृतिक संगठन ‘ कला सृजन अकादमी’ की स्थापना . कन्चौसी (ज़िला-इटावा/कानपुरदेहात/औरैया -उ.प्र.), गंगापुर सिटी, नवलगढ, सीकर, अलवर,सरदारशहर, जयपुर(राजस्थान) और पन्जिम(गोआ) में उड़ने के बाद पतंग अब हुगली के किनारे कोलकाता के आसमान पर . यानी धुर पश्चिम से धुर पूर्व की ओर रुख . कबीर-तुलसीदास-भारतेन्दु-प्रेमचन्द-निराला-नागार्जुन-केदार-भवानी भाई-फणीश्वरनाथ रेणु-राही मासूम रज़ा-श्रीलाल शुक्ल-मनोहरश्याम जोशी-रघुवीर सहाय-केदारनाथ सिंह-लीलाधर जगूडी़-विजेन्द्र-भगवत रावत और उदयप्रकाश से ले कर गोर्की-स्टाइनबेक-मार्खेज़-डेरेक वॉल्काट-हैरल्ड पिन्टर और ओरहान पामुक तक का रसिया पाठक और जुगालीकार . ब्लॉग — चिट्ठा — आदि की आभासी दुनिया में नया घुसपैठिया . सार्वजनिक क्षेत्र के एक वैज्ञानिक संस्थान से सम्बद्ध . कोलकाता में एक बीबी और दो बच्चे मेरे संरक्षक ह