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बारिज भवाँ अलक टेढी मनौ, अति सुगंध रस अटके॥ | बारिज भवाँ अलक टेढी मनौ, अति सुगंध रस अटके॥ | ||
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टेढी कटि, टेढी कर मुरली, टेढी पाग लट लटके। | टेढी कटि, टेढी कर मुरली, टेढी पाग लट लटके। | ||
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'मीरा प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के॥ | 'मीरा प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के॥ | ||
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10:32, 18 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
नैना निपट बंकट छबि अटके।
देखत रूप मदनमोहन को, पियत पियूख न मटके।
बारिज भवाँ अलक टेढी मनौ, अति सुगंध रस अटके॥
टेढी कटि, टेढी कर मुरली, टेढी पाग लट लटके।
'मीरा प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के॥