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"सरोजिनी साहू / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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'''सरोजिनी साहू''' [[ओडिया साहित्य]]. के साम्प्रतिक प्रमुख साहित्यकारों मे मानी जाती है.साहित्य साधना मे अपने योगदान हेतु उन्हें ओडिसा  साहित्य अकादेमी पुरस्कार, झंकार पुरस्कार, प्रजातंत्र पुरस्कार, भुबनेश्वर  पुस्तक मेला पुरस्करोंसे सम्मानित किया गया है। ओडिया साहित्य मे नारीवाद के प्रमुख प्रबकता यह साहित्यकार का  जन्म १९५६ मे ओडिसा  के धेंकनाल  मे हुआ था। ओडिया साहित्य मे स्नातकोत्तर तथा पीएचडी  तथा कानून मे स्नातक की उपाधि से सम्मानित यह लेखिका सम्प्रति बेलपहाड़ कॉलेज मे कार्यरत हैं। श्री इश्वर चन्द्र साहू तथा श्रीमती नलिनी देवी की कन्या  तथा ओडिया साहित्य के प्रमुख लेखक जगदीश मोहंती की धर्मपत्नी  और  दो संतानों की  माता सरोजिनी की अबतक पन्द्रह  पुस्तकें  प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमे आठ कहानी संग्रह और सात उपन्यास सामिल है .<ref>[http://sarojinisahoo.com/ Official web site], accessed 11 August 2007</ref>
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'''सरोजिनी साहू''' ओडिया साहित्य के साम्प्रतिक प्रमुख साहित्यकारों मे मानी जाती है.साहित्य साधना मे अपने योगदान हेतु उन्हें ओडिसा  साहित्य अकादेमी पुरस्कार, झंकार पुरस्कार, प्रजातंत्र पुरस्कार, भुबनेश्वर  पुस्तक मेला पुरस्करोंसे सम्मानित किया गया है। ओडिया साहित्य मे नारीवाद के प्रमुख प्रबकता यह साहित्यकार का  जन्म १९५६ मे ओडिसा  के धेंकनाल  मे हुआ था। ओडिया साहित्य मे स्नातकोत्तर तथा पीएचडी  तथा कानून मे स्नातक की उपाधि से सम्मानित यह लेखिका सम्प्रति बेलपहाड़ कॉलेज मे कार्यरत हैं। श्री इश्वर चन्द्र साहू तथा श्रीमती नलिनी देवी की कन्या  तथा ओडिया साहित्य के प्रमुख लेखक जगदीश मोहंती की धर्मपत्नी  और  दो संतानों की  माता सरोजिनी की अबतक पन्द्रह  पुस्तकें  प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमे आठ कहानी संग्रह और सात उपन्यास सामिल है.
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==नारीवाद ==
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सरोजिनी साहू को ओडिया साहित्य में नारीवाद का प्रमुख ट्रेंड सेटर  माना  जाता है .यद्दपि उन्हें  भारत के सिमोन दा बुआर  कहा जाता है, पर हेगेलीय तत्व "अन्यान्य" के स्तर पर सिमोन से उनकी मत विरोध  उन्हें इस क्षेत्र मे अद्वितिया बना देती हँ. जुडिथ बुत्तालेर या वर्जीनिया वूल्फ़ की सोच से भी उनकी दुरी उनकी रचनाओं मे पाई जाती है. नारीवाद को लिंग समस्या से आगे पुरूष-तांत्रिक समाज के प्रति बिरोध से परे नारिओं के समूचे दुनिया का अलग ढ़ंग से अबलोकन करना उनकी रचनाओं का कलात्मक श्रेय है.
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==यौनता ==
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यौनता (सेक्सुअलिटी)  को नया आयाम देने का श्रेय उन्हें ही जाता है. केवल दैहिक वासनाओं से आगे यौनता को लिंग समस्या, लिंग भूमिका, लिंग एकता, लिंग परिचय से वह जोड़ कर देखती हैं. उनका उपन्यास "उपनिवेश" ओडिया साहित्य के प्रथम उपन्यास माना जाता है जिसमे नारिओं की यौन भावनाओं को मुक्त रूप से स्वीकार गया हो. उपन्यास की नायिका मेधा बोहेमियन नारी है और एक पुरूष के साथ पूरे जीवन बिताने  मे  बोरियत से ऊब जाती है. सरोजिनी का सबसे चर्चित  उपन्यास  "गम्भिरी घर " एक पाकिस्तानी कलाकार  और भारतीय गृह वधु की प्रेम कहानी है, पर केवल प्रेम कहानी ही कहना सरोजिनी की  उद्देश्य मात्र नहीं  रह जाती. इस उपन्यास में आतंकवाद, राष्ट्र और ब्यक्ति में चल रहे संघर्षों तथा पाप, पुण्य की भावनाओं का बखूबी से चित्रण किया गया है. ओडिया साहित्य में नारीवादी स्वर को प्रखर करने हेतु  "गम्भिरी घर"  की  भूमिका सर्वोपरि हैं.
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==पुरस्कार ==
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* उड़ीसा साहित्य अकेडमी पुरस्कार, 1993,
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* झंकार पुरस्कार, 1992,
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* भुबनेस्वर बुक फेयर  पुरस्कार(1993), 
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* प्रजातंत्र पुरस्कार(1981,1993),
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==कहानी संग्रह==
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उनके अब  तक प्रकाशित दस  कहानी संग्रहों के नाम इस प्रकार के हैं  :
 
*''सुखर मुहामुहीं ‘‘ (1981)
 
*''सुखर मुहामुहीं ‘‘ (1981)
 
*''निजगाहिरारेनिजे'' (1989)
 
*''निजगाहिरारेनिजे'' (1989)
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*''देशंतरी '' (1999)
 
*''देशंतरी '' (1999)
 
*''दुख अप्रमित '' (2006)
 
*''दुख अप्रमित '' (2006)
*''Sarojini Sahoo short stories'' (2006) (ISBN 81-89040-26-X))<ref>[http://www.grassrootsbooksindia.com/frontend/book.php?pageNum_showreviews=1&totalRows_showreviews=66]ग्रासरुट्स प्रकाशन का वेव साइट्, डिखागया , मार्च 14, [[2008]]</ref>
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*''Sarojini Sahoo short stories'' (2006) (ISBN 81-89040-26-X))
 
*''सृजनी सरोजिनी '' (2008 )
 
*''सृजनी सरोजिनी '' (2008 )
 
*'' Waiting for Manna '' (2008) (ISBN 978-81-906956-0-2)
 
*'' Waiting for Manna '' (2008) (ISBN 978-81-906956-0-2)
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*"पक्षिवास  " (2007)
 
*"पक्षिवास  " (2007)
 
उनका चर्चित उपन्यास ''गम्भिरी घर'' का बंगला अनुबाद "मिथ्या  गेरोस्थाली "(ISBN No :984 404 287-9) शीर्षक से बंगलादेश  के मूर्धन्य प्रकाशक अनुपम प्रकाशनी ने प्रकाशित  किया है . इस उपन्यास का अनुबादक  मोर्शेद शाफिउल हस्सन  तथा दिलवर हुसैन , बंगलादेश के चर्चित लेखक हैं
 
उनका चर्चित उपन्यास ''गम्भिरी घर'' का बंगला अनुबाद "मिथ्या  गेरोस्थाली "(ISBN No :984 404 287-9) शीर्षक से बंगलादेश  के मूर्धन्य प्रकाशक अनुपम प्रकाशनी ने प्रकाशित  किया है . इस उपन्यास का अनुबादक  मोर्शेद शाफिउल हस्सन  तथा दिलवर हुसैन , बंगलादेश के चर्चित लेखक हैं
 
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''गम्भिरी घर'' का अंग्रेजी अनुवाद ''द डार्क एबोड'' शीर्षक से इंडियन एज कमुनिकेशन, चेन्नई से २००८ में प्रकाशित हुआ है.यह उपन्यास का अंश विशेष [http://www.scribd.com/doc/13579559/The-Dark-Abode'''जालस्थल''']    पर पढ़ा जा सकता है.  
==पुरस्कार ==
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उनका चर्चित उपन्यास ''पक्षी-वास'' का   हिंदी अनुवाद श्री दिनेश कुमार माली ने किया है तथा यह उपन्यास [http://www.scribd.com/doc/18083181/Pakshibaas-Novel-by-Sarojini-Sahu'''जालस्थल'''] पर पढ़ा जा सकता है.
 
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* उड़ीसा साहित्य अकेडमी  पुरस्कार, 1993,
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* झंकार पुरस्कार, 1992,
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* भुबनेस्वर बुक फेयर पुरस्कार(1993), 
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* प्रजातंत्र पुरस्कार(1981,1993),
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==नारीवाद ==
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सरोजिनी साहू को ओडिया साहित्य में नारीवाद का प्रमुख ट्रेंड सेटर  माना  जाता है .यद्दपि उन्हें  भारत के सिमोन दा बुआर ( [[:en:Simone De Beauvoir|Simone De Beauvoir ]])  कहा जाता है, पर हेगेलीय तत्व "अन्यान्य"([[:en:Other|Others ]])  के स्तर पर सिमोन से उनकी मत विरोध  उन्हें इस क्षेत्र मे अद्वितिया बना देती हँ .जुडिथ बुत्तालेर  ([[:en:Judith Buttler|Judith Buttler ]])    या वर्जीनिया वूल्फ़ ([[:en:Virginia Woolf |Virginia Woolf ]])  की सोच से भी उनकी दुरी उनकी रचनाओं मे पाई जाती है. नारीवाद को लिंग समस्या (जेंडर प्रॉब्लम ) से आगे पुरूष-तांत्रिक समाज के प्रति बिरोध से परे नारिओं के समूचे दुनिया का अलग ढ़ंग से अबलोकन करना उनकी रचनाओं का कलात्मक श्रेय है.
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==यौनता ==
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यौनता (सेक्सुअलिटी) को नया आयाम देने का श्रेय उन्हें ही जाता है.केवल दैहिक
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वासनाओं से आगे यौनता को लिंग समस्या ( [[:en:Gender |Gender ]]problem ),लिंग भूमिका ([[:en:Gender role|Gender role ]])  , लिंग एकता ([[:en:Zygarchy|Gender equality ]]),लिंग परिचय([[:en:Gender identity|Gender identity ]])  से वह जोड़ कर देखती हैं.उनका उपन्यास "उपनिवेश "  ओडिया साहित्य के प्रथम उपन्यास माना जाता है जिसमे नारिओं की यौन भावनाओं को मुक्त रूप से स्वीकार गया हो. उपन्यास की नायिका मेधा बोहेमियन नारी है और एक पुरूष के साथ पूरे जीवन बिताने मे  बोरियत से ऊब जाती है. सरोजिनी का सबसे चर्चित  उपन्यास  "गम्भिरी घर " एक पाकिस्तानी कलाकार  और भारतीय गृह वधु की प्रेम कहानी है , पर केवल प्रेम कहानी ही कहना सरोजिनी की  उद्देश्य मात्र नहीं  रह जाती .इस उपन्यास में आतंकवाद ,राष्ट्र और ब्यक्ति में चल रहे संघर्षों तथा पाप,पुण्य की भावनाओं का बखूबी से चित्रण किया गया है . ओडिया साहित्य में नारीवादी स्वर को प्रखर करने हेतु  "गम्भिरी घर  "  की  भूमिका सर्वोपरि हैं .
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==अन्यान्य सम्पर्क  ==
 
==अन्यान्य सम्पर्क  ==
 
* [http://sarojinisahoo.com '''सरोजिनी साहू होम पेज''']  
 
* [http://sarojinisahoo.com '''सरोजिनी साहू होम पेज''']  
 
* [http://sarojinisahoo.blogspot.com  '''सेन्स एन्ड सेन्सुआलिटी'''  सरोजिनी के ब्लॉग]
 
* [http://sarojinisahoo.blogspot.com  '''सेन्स एन्ड सेन्सुआलिटी'''  सरोजिनी के ब्लॉग]

18:04, 17 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

सरोजिनी साहू ओडिया साहित्य के साम्प्रतिक प्रमुख साहित्यकारों मे मानी जाती है.साहित्य साधना मे अपने योगदान हेतु उन्हें ओडिसा साहित्य अकादेमी पुरस्कार, झंकार पुरस्कार, प्रजातंत्र पुरस्कार, भुबनेश्वर पुस्तक मेला पुरस्करोंसे सम्मानित किया गया है। ओडिया साहित्य मे नारीवाद के प्रमुख प्रबकता यह साहित्यकार का जन्म १९५६ मे ओडिसा के धेंकनाल मे हुआ था। ओडिया साहित्य मे स्नातकोत्तर तथा पीएचडी तथा कानून मे स्नातक की उपाधि से सम्मानित यह लेखिका सम्प्रति बेलपहाड़ कॉलेज मे कार्यरत हैं। श्री इश्वर चन्द्र साहू तथा श्रीमती नलिनी देवी की कन्या तथा ओडिया साहित्य के प्रमुख लेखक जगदीश मोहंती की धर्मपत्नी और दो संतानों की माता सरोजिनी की अबतक पन्द्रह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमे आठ कहानी संग्रह और सात उपन्यास सामिल है.

नारीवाद

सरोजिनी साहू को ओडिया साहित्य में नारीवाद का प्रमुख ट्रेंड सेटर माना जाता है .यद्दपि उन्हें भारत के सिमोन दा बुआर कहा जाता है, पर हेगेलीय तत्व "अन्यान्य" के स्तर पर सिमोन से उनकी मत विरोध उन्हें इस क्षेत्र मे अद्वितिया बना देती हँ. जुडिथ बुत्तालेर या वर्जीनिया वूल्फ़ की सोच से भी उनकी दुरी उनकी रचनाओं मे पाई जाती है. नारीवाद को लिंग समस्या से आगे पुरूष-तांत्रिक समाज के प्रति बिरोध से परे नारिओं के समूचे दुनिया का अलग ढ़ंग से अबलोकन करना उनकी रचनाओं का कलात्मक श्रेय है.

यौनता

यौनता (सेक्सुअलिटी) को नया आयाम देने का श्रेय उन्हें ही जाता है. केवल दैहिक वासनाओं से आगे यौनता को लिंग समस्या, लिंग भूमिका, लिंग एकता, लिंग परिचय से वह जोड़ कर देखती हैं. उनका उपन्यास "उपनिवेश" ओडिया साहित्य के प्रथम उपन्यास माना जाता है जिसमे नारिओं की यौन भावनाओं को मुक्त रूप से स्वीकार गया हो. उपन्यास की नायिका मेधा बोहेमियन नारी है और एक पुरूष के साथ पूरे जीवन बिताने मे बोरियत से ऊब जाती है. सरोजिनी का सबसे चर्चित उपन्यास "गम्भिरी घर " एक पाकिस्तानी कलाकार और भारतीय गृह वधु की प्रेम कहानी है, पर केवल प्रेम कहानी ही कहना सरोजिनी की उद्देश्य मात्र नहीं रह जाती. इस उपन्यास में आतंकवाद, राष्ट्र और ब्यक्ति में चल रहे संघर्षों तथा पाप, पुण्य की भावनाओं का बखूबी से चित्रण किया गया है. ओडिया साहित्य में नारीवादी स्वर को प्रखर करने हेतु "गम्भिरी घर" की भूमिका सर्वोपरि हैं.

पुरस्कार

  • उड़ीसा साहित्य अकेडमी पुरस्कार, 1993,
  • झंकार पुरस्कार, 1992,
  • भुबनेस्वर बुक फेयर पुरस्कार(1993),
  • प्रजातंत्र पुरस्कार(1981,1993),

कहानी संग्रह

उनके अब तक प्रकाशित दस कहानी संग्रहों के नाम इस प्रकार के हैं  :

  • सुखर मुहामुहीं ‘‘ (1981)
  • निजगाहिरारेनिजे (1989)
  • अमृतर प्रतिक्षारे ‘‘(1992)
  • चौकठ (1994)
  • तरली जाउथिबा दुर्ग (1995)
  • देशंतरी (1999)
  • दुख अप्रमित (2006)
  • Sarojini Sahoo short stories (2006) (ISBN 81-89040-26-X))
  • सृजनी सरोजिनी (2008 )
  • Waiting for Manna (2008) (ISBN 978-81-906956-0-2)

उपन्यास

उनकी अबतक सात उपन्यास प्रकाशित हो चुका है .

  • उपनिबेश (1998)
  • प्रतिबंदी (1999)
  • स्वप्न खोजाली माने (2000)
  • महाजात्रा (2001)
  • गम्भिरी घर (2005)
  • बिषाद इश्वरी (2006)
  • "पक्षिवास " (2007)

उनका चर्चित उपन्यास गम्भिरी घर का बंगला अनुबाद "मिथ्या गेरोस्थाली "(ISBN No :984 404 287-9) शीर्षक से बंगलादेश के मूर्धन्य प्रकाशक अनुपम प्रकाशनी ने प्रकाशित किया है . इस उपन्यास का अनुबादक मोर्शेद शाफिउल हस्सन तथा दिलवर हुसैन , बंगलादेश के चर्चित लेखक हैं गम्भिरी घर का अंग्रेजी अनुवाद द डार्क एबोड शीर्षक से इंडियन एज कमुनिकेशन, चेन्नई से २००८ में प्रकाशित हुआ है.यह उपन्यास का अंश विशेष जालस्थल पर पढ़ा जा सकता है. उनका चर्चित उपन्यास पक्षी-वास का हिंदी अनुवाद श्री दिनेश कुमार माली ने किया है तथा यह उपन्यास जालस्थल पर पढ़ा जा सकता है.

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