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"अभिलाष / पढ़ीस" के अवतरणों में अंतर

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काकनि जि हम हूँ पढ़ि पाइति।
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काकनि जो हम हूँ पढ़ि पाइति।
जण्टर मैन बनित छिनहे मा-
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जण्टर मैन बनित छिनहे<ref>समय की माप सूचक - क्षण में</ref> मा-
 
पहिनिति उजल कोटु पैजामा;
 
पहिनिति उजल कोटु पैजामा;
 
लरिकन की महतारी ऊपर-
 
लरिकन की महतारी ऊपर-
::कसि के हुकुम चलाइति।
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कसि के हुकुम चलाइति।
 
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ठाठ गाँठि कै सहरै<ref>शहर को</ref>  जाइति
ठाठ गाँठि कै सहरै जाइति
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बात - बात पर बात बनाइति
बात-बात पर बात बनाइति
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मुंसिफ साहब के दमाद ते-
 
मुंसिफ साहब के दमाद ते-
::अबे-तबे बतलाइति।
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अबे - तबे बतलाइति।
 
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जानि बूझि अगुँठा धरवाइति,
जानि बूझि अँगुठा धरवाइति,
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लाला ते लम्बर जिखवाइति,
 
लाला ते लम्बर जिखवाइति,
 
ठकुरन ते बड़कये खेत की-
 
ठकुरन ते बड़कये खेत की-
::बड़ी रसीद लिखाइति।
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बड़ी रसीद लिखाइति।
 
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यहु फुटही तकदीर क नकसा!
यहु फुटहि तकदीर क नकसा!
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खोलिति अपनै अलग मदरसा<ref>स्कूल, विद्यालय, पाठशाला</ref>
खोलिति अपनै अलग मदरसा
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दुनिया वाले पढ़े लिख्यन का-
 
दुनिया वाले पढ़े लिख्यन का-
::टिल्ल‍इ तिल्ल उड़ाइति।
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टिल्लइ टिल्ल उड़ाइति।
 
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'''शब्दार्थ :
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छिनहे मा = समय के माप सूचक क्षण में ।
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सहरै = शहर को
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16:29, 7 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

काकनि जो हम हूँ पढ़ि पाइति।
जण्टर मैन बनित छिनहे<ref>समय की माप सूचक - क्षण में</ref> मा-
पहिनिति उजल कोटु पैजामा;
लरिकन की महतारी ऊपर-
कसि के हुकुम चलाइति।
ठाठ गाँठि कै सहरै<ref>शहर को</ref> जाइति
बात - बात पर बात बनाइति
मुंसिफ साहब के दमाद ते-
अबे - तबे बतलाइति।
जानि बूझि अगुँठा धरवाइति,
लाला ते लम्बर जिखवाइति,
ठकुरन ते बड़कये खेत की-
बड़ी रसीद लिखाइति।
यहु फुटही तकदीर क नकसा!
खोलिति अपनै अलग मदरसा<ref>स्कूल, विद्यालय, पाठशाला</ref>
दुनिया वाले पढ़े लिख्यन का-
टिल्लइ टिल्ल उड़ाइति।

शब्दार्थ
<references/>