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"ज़िन्दगी ख़्वाबे-परीशाँ है कोई क्या जाने / जोश मलीहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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ज़िन्दगी ख़्वाब-ए-परेशां है कोई क्या जाने  
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ज़िन्दगी ख़्वाबे-परीशाँ है कोई क्या जाने  
मौत की लरज़िश-ए-मिज़्शगाँ है कोई क्या जाने  
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मौत की लरज़िशे-मिज़्गाँ है कोई क्या जाने  
  
 
रामिश-ओ-रंग<ref>संगीत और रंग</ref> के ऐवान में लैला-ए-हयात  
 
रामिश-ओ-रंग<ref>संगीत और रंग</ref> के ऐवान में लैला-ए-हयात  
 
सिर्फ़ एक रात की मेहमाँ है कोई क्या जाने  
 
सिर्फ़ एक रात की मेहमाँ है कोई क्या जाने  
  
गुलशन-ए-ज़ीस्त के हर फूल की रंगीनी में  
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गुलशने-ज़ीस्त के हर फूल की रंगीनी में  
दजला-ए-ख़ून-ए-रग-ए-जाँ है कोई क्या जाने  
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दजला-ए-ख़ूने-रगे-जाँ है कोई क्या जाने  
  
 
रंग-ओ-आहंग से बजती हुई यादों की बरात  
 
रंग-ओ-आहंग से बजती हुई यादों की बरात  
रहरव-ए-जादा-ए-निसियाँ<ref>भूले हुए रास्तों का राही</ref> है कोई क्या जाने
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20:46, 25 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

ज़िन्दगी ख़्वाबे-परीशाँ है कोई क्या जाने
मौत की लरज़िशे-मिज़्गाँ है कोई क्या जाने

रामिश-ओ-रंग<ref>संगीत और रंग</ref> के ऐवान में लैला-ए-हयात
सिर्फ़ एक रात की मेहमाँ है कोई क्या जाने

गुलशने-ज़ीस्त के हर फूल की रंगीनी में
दजला-ए-ख़ूने-रगे-जाँ है कोई क्या जाने

रंग-ओ-आहंग से बजती हुई यादों की बरात
रहरवे-जादा-ए-निसियाँ<ref>भूले हुए रास्तों का राही</ref> है कोई क्या जाने

शब्दार्थ
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