भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"संकट टला नहीं है / अरविन्द श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव  
 
|रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव  
|संग्रह=
+
|संग्रह=अफ़सोस के लिए कुछ शब्द / अरविन्द श्रीवास्तव
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita‎}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
संकट टला नहीं है
 
संकट टला नहीं है

23:03, 2 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

संकट टला नहीं है
सटोरियों ने दाँव लगाने छोड़ दिए हैं
चौखट के बाहर
अप्रिय घटनाओं का बाजार गर्म है
खिचड़ी नहीं पक रही आज घर में
बंदूक के टोटे
सड़कों पर बिखरे पड़े हैं
धुआँधार बमबारी चल रही है बाहर

समय नहीं है प्यार की बातें करने का
कविता लिखने, आँखे चार करने का

यमदूत थके नहीं हैं
यहीं कहीं घर के बाहर खड़े
प्रतीक्षा कर रहे हैं
किसी चुनाव-परिणाम की !