भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जन्म / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
 
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
 
}}
 
}}
<poem>डस गई  
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
डस गई  
 
अनमने एकांत को  
 
अनमने एकांत को  
 
भीड़ निरर्थकता की
 
भीड़ निरर्थकता की
  
 
व्यर्थ अनुभूतियां  
 
व्यर्थ अनुभूतियां  
दर्शन के बाद  
+
दंश के बाद  
 
हुईं शिथिल
 
हुईं शिथिल
  

09:19, 18 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

डस गई
अनमने एकांत को
भीड़ निरर्थकता की

व्यर्थ अनुभूतियां
दंश के बाद
हुईं शिथिल

होने का दर्द
प्रश्नों की भीड़
और अर्थों की पीड़ा
भाग रहे हैं
जन्म की तरफ

जन्म के पश्चात
पीड़ित मुस्कान
बू की सच्चाई
ख़ुश्बू की आहट।