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"जुस्तजू जिस की थी / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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इस गज़ल को शहरयार ने फ़िल्म "उमराव जान" के लिये लिखा था। फ़िल्म में नायिका उमराव जान एक शायरा भी हैं और उनका तख़ल्लुस "अदा" है।<br><br>

00:21, 22 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

इस रचना को आप सस्वर सुन सकते हैं:  
आवाज़: अज्ञात

जुस्तजू जिस की थी उस को तो न पाया हमने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने

तुझको रुसवा न किया ख़ुद भी पशेमाँ न हुये
इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हमने

कब मिली थी कहाँ बिछड़ी थी हमें याद नहीं
ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने

ऐ "अदा" और सुनाये भी तो क्या हाल अपना
उम्र का लम्बा सफ़र तय किया तन्हा हमने


टिप्पणी:
इस गज़ल को शहरयार ने फ़िल्म "उमराव जान" के लिये लिखा था। फ़िल्म में नायिका उमराव जान एक शायरा भी हैं और उनका तख़ल्लुस "अदा" है।