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"ध्वज-वंदना / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

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नमो, नमो, नमो...
  
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नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
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नमो नगाधिराज-शृंग की विहारिणी!
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नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
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प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
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नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!
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नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!
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नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
  
नमो, नमो, नमो।<br><br>
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हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार
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प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार
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सत्य न्याय के हेतु, फहर फहर ओ केतु
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हम विरचेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
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पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
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नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
  
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो !<br>
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तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग
नमो नगाधिराज - श्रृंग की विहारिणी !<br>
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दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!<br>
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सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!<br>
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कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!<br>
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करते तव जय गान, वीर हुए बलिदान
नवीन सूर्य की नयी प्रभा,नमो, नमो!<br><br>
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अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
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प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!
  
हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।<br>
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नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।<br>
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सत्य न्याय के हेतु<br>
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फहर फहर ओ केतु<br>
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सेवक सैन्य कठोर<br>
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कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर<br>
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करते तव जय गान<br>
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वीर हुए बलिदान,<br>
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अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!<br>
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प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!<br><br>
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12:15, 6 मई 2015 के समय का अवतरण

नमो, नमो, नमो...

नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
नमो नगाधिराज-शृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!

हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार
सत्य न्याय के हेतु, फहर फहर ओ केतु
हम विरचेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!

तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग
सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान, वीर हुए बलिदान
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!

नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!