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"उसे क्या कहूँ / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर

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किन्तु जो तिमिर-पान
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औ' ज्योति-दान
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करता करता बह गया
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उसे क्या कहूँ
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कि वह सस्पन्द नहीं था ?
  
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और जो मन की मूक कराह
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उसे क्या कहूँ
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किन्तु जो तिमिर-पान<br>
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किन्तु जो कभी नहीं चल सका
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दीप सा कभी नहीं जल सका
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उसे क्या कहूँ
और जो मन की मूक कराह<br>
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जेल में बन्द नहीं था ?
ज़ख़्म की आह<br>
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कि यूँही खड़ा खड़ा ढह गया<br>
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उसे क्या कहूँ<br>
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जेल में बन्द नहीं था?<br><br>
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13:07, 30 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

किन्तु जो तिमिर-पान
औ' ज्योति-दान
करता करता बह गया
उसे क्या कहूँ
कि वह सस्पन्द नहीं था ?

और जो मन की मूक कराह
ज़ख़्म की आह
कठिन निर्वाह
व्यक्त करता करता रह गया
उसे क्या कहूँ
गीत का छन्द नहीं था ?

पगों कि संज्ञा में है
गति का दृढ़ आभास,
किन्तु जो कभी नहीं चल सका
दीप सा कभी नहीं जल सका
कि यूँही खड़ा खड़ा ढह गया
उसे क्या कहूँ
जेल में बन्द नहीं था ?