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"'केसव' चौंकति सी चितवै / केशवदास" के अवतरणों में अंतर

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'केसव' चौंकति सी चितवै, छिति पाँ धरिकै तरकै तकि छाँहीं।<br>
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बूझिये और कहै मुख और, सु और की और भई छिन माहीं॥<br>
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<poem>'केसव' चौंकति सी चितवै, छिति पाँ धरिकै तरकै तकि छाँहीं।
दीठि लगी किधौं बाइ लगी, मन भूलि पर्यो कै कर्यो कछु काहीं।<br>
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बूझिये और कहै मुख और, सु और की और भई छिन माहीं॥
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दीठि लगी किधौं बाइ लगी, मन भूलि पर्यो कै कर्यो कछु काहीं।
 
घूँघट की, घट की, पट की, हरि आजु कछू सुधि राधिकै नाहीं॥
 
घूँघट की, घट की, पट की, हरि आजु कछू सुधि राधिकै नाहीं॥
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10:22, 15 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

'केसव' चौंकति सी चितवै, छिति पाँ धरिकै तरकै तकि छाँहीं।
बूझिये और कहै मुख और, सु और की और भई छिन माहीं॥
दीठि लगी किधौं बाइ लगी, मन भूलि पर्यो कै कर्यो कछु काहीं।
घूँघट की, घट की, पट की, हरि आजु कछू सुधि राधिकै नाहीं॥