भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आरती हरि श्री शाकुम्भरी अम्बा / आरती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | {{ | + | {{KKDharmikRachna}} |
− | + | {{KKCatArti}} | |
− | }} | + | <poem> |
− | <poem> | + | आरती हरि श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो। |
− | आरती हरि श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो। | + | ऐसो अद्भुत रूप हृदय धर लीजो शताक्षी दयालु की आरती कीजो। |
+ | तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ। | ||
+ | सब घट तुम आप बखानी माँ॥ | ||
+ | शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो। | ||
+ | तुम्हीं हो शाकुम्भरी, तुम ही हो शताक्षी माँ। | ||
+ | शिव मूर्ति माया, तुम ही हो प्रकाशी माँ॥ | ||
+ | श्री शाकुम्भरी... | ||
+ | नित जो नर-नारी अम्बे आरती गावे माँ। | ||
+ | इच्छा पूरण कीजो, शाकुम्भरी दर्शन पावे माँ॥ | ||
+ | श्री शाकुम्भरी... | ||
+ | जो नर आरती पढ़े पढ़ावे माँ | ||
+ | जो नर आरती सुने सुनावे माँ | ||
+ | बसे बैकुण्ठ शाकुम्भर दर्शन पावे, | ||
+ | श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो | ||
+ | </poem> |
15:48, 30 मई 2014 के समय का अवतरण
आरती हरि श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो।
ऐसो अद्भुत रूप हृदय धर लीजो शताक्षी दयालु की आरती कीजो।
तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ।
सब घट तुम आप बखानी माँ॥
शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो।
तुम्हीं हो शाकुम्भरी, तुम ही हो शताक्षी माँ।
शिव मूर्ति माया, तुम ही हो प्रकाशी माँ॥
श्री शाकुम्भरी...
नित जो नर-नारी अम्बे आरती गावे माँ।
इच्छा पूरण कीजो, शाकुम्भरी दर्शन पावे माँ॥
श्री शाकुम्भरी...
जो नर आरती पढ़े पढ़ावे माँ
जो नर आरती सुने सुनावे माँ
बसे बैकुण्ठ शाकुम्भर दर्शन पावे,
श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो