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"चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर

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मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गई
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गिलास ग़ुम शराब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
  
चराग़-ओ-आफ़्ताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br>
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लिखा हुआ था जिस किताब में, कि इश्क़ तो हराम है
शबाब की नक़ाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br><br>
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हुई वही किताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी  
  
मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गयी <br>
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लबों से लब जो मिल गए, लबों से लब जो सिल गए
गिलास ग़ुम शराब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br><br>
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सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी  
 
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लिखा हुआ था जिस किताब में, कि इश्क़ तो हराम है <br>
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सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी <br><br>
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01:20, 24 नवम्बर 2019 के समय का अवतरण

चराग़-ओ-आफ़्ताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नक़ाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी

मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गई
गिलास ग़ुम शराब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी

लिखा हुआ था जिस किताब में, कि इश्क़ तो हराम है
हुई वही किताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी

लबों से लब जो मिल गए, लबों से लब जो सिल गए
सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी