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"जै जै भैरव बाबा / आरती" के अवतरणों में अंतर

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जै जै भैरव बाबा, स्वामी जै भैरव बाबा।<BR>नमो विश्व भूतेश भुजंगी, मंजुल कहलावा॥ \..<BR>उमानन्द अमरेश, विमोचन, जन पद सिर नावा।<BR>काशी के कुतवाल, आपको  
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जै जै भैरव बाबा, स्वामी जै भैरव बाबा।
सकल जगत ध्यावा॥<BR>स्वान सवारी बटुकनाथ प्रभु पी मद हर्षावा॥ \..<BR>रवि के दिन जग भोग लगावें, मोदक तन भावा।<BR>भीष्म भीम, कृपालु त्रिलोचन, खप्पर भर खावा॥  
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नमो विश्व भूतेश भुजंगी, मंजुल कहलावा॥
\..<BR>शेखर चन्द्र कृपाल शशि प्रभु, मस्तक चमकावा।<BR>गलमुण्डन की माला सुशोभित, सुन्दर दरसावा॥ \..<BR>नमो नमो आनन्द कन्द प्रभु, लटकत मठ झावा।<BR>कर्ष तुण्ड शिव कपिल द्दयम्बक यश जग में छावा॥<BR>जो जन तुमसे ध्यान लगावत, संकट नहिं पावा॥ \..<BR>छीतरमल जन शरण तुम्हारी, आरती प्रभु गावा।<BR>\ जय भैरव बाबा, स्वामी जय भैरव बाब॥
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काशी के कुतवाल, आपको सकल जगत ध्यावा॥
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गलमुण्डन की माला सुशोभित, सुन्दर दरसावा॥  
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नमो नमो आनन्द कन्द प्रभु, लटकत मठ झावा।
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जो जन तुमसे ध्यान लगावत, संकट नहिं पावा॥  
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छीतरमल जन शरण तुम्हारी, आरती प्रभु गावा।
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जय भैरव बाबा, स्वामी जय भैरव बाब॥
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12:27, 30 मई 2014 के समय का अवतरण

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

जै जै भैरव बाबा, स्वामी जै भैरव बाबा।
नमो विश्व भूतेश भुजंगी, मंजुल कहलावा॥

उमानन्द अमरेश, विमोचन, जन पद सिर नावा।
काशी के कुतवाल, आपको सकल जगत ध्यावा॥
स्वान सवारी बटुकनाथ प्रभु पी मद हर्षावा॥

रवि के दिन जग भोग लगावें, मोदक तन भावा।
भीष्म भीम, कृपालु त्रिलोचन, खप्पर भर खावा॥

शेखर चन्द्र कृपाल शशि प्रभु, मस्तक चमकावा।
गलमुण्डन की माला सुशोभित, सुन्दर दरसावा॥

नमो नमो आनन्द कन्द प्रभु, लटकत मठ झावा।
कर्ष तुण्ड शिव कपिल द्दयम्बक यश जग में छावा॥
जो जन तुमसे ध्यान लगावत, संकट नहिं पावा॥

छीतरमल जन शरण तुम्हारी, आरती प्रभु गावा।
जय भैरव बाबा, स्वामी जय भैरव बाब॥