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"कल नाहिं पड़त जिस / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

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सखी मेरी नींद नसानी हो।<br>
 
सखी मेरी नींद नसानी हो।<br>
 
पिवको पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो।<br>
 
पिवको पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो।<br>

19:25, 24 जून 2009 के समय का अवतरण

सखी मेरी नींद नसानी हो।
पिवको पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो।
सखियन मिलकर सीख दई मन, एक न मानी हो।
बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय, ऐसी ठानी हो।
अंग-अंग ब्याकुल भई मुख, पिय पिय बानी हो।
अंतर बेदन बिरहकी कोई, पीर न जानी हो।
ज्यूं चातक घनकूं रटै, मछली जिमि पानी हो।
मीरा ब्याकुल बिरहणी, सुध बुध बिसरानी हो।