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"आज है, कल हुई / उर्मिलेश" के अवतरणों में अंतर
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आज है, कल हुई, हुई, न हुई | आज है, कल हुई, हुई, न हुई | ||
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छांव हर पल हुई, हुई, न हुई | छांव हर पल हुई, हुई, न हुई | ||
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एक पहेली है ज़िंदगी अपनी | एक पहेली है ज़िंदगी अपनी | ||
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क्या पता हल हुई, हुई, न हुई | क्या पता हल हुई, हुई, न हुई | ||
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देह का फ़लसफ़ा बताता है | देह का फ़लसफ़ा बताता है | ||
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कल ये संदल हुई, हुई, न हुई | कल ये संदल हुई, हुई, न हुई | ||
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जो नदी तुझमें - मुझमें बह्ती है | जो नदी तुझमें - मुझमें बह्ती है | ||
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उसमें कलकल हुई, हुई, न हुई | उसमें कलकल हुई, हुई, न हुई | ||
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ये नुमाइश तो चार दिन की है | ये नुमाइश तो चार दिन की है | ||
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फिर ये हलचल हुई, हुई, न हुई | फिर ये हलचल हुई, हुई, न हुई | ||
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मानकर घास रौंद मत इसको | मानकर घास रौंद मत इसको | ||
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कल ये मखमल हुई, हुई, न हुई | कल ये मखमल हुई, हुई, न हुई | ||
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जितना जी चाहे उतनी पी ले तू | जितना जी चाहे उतनी पी ले तू | ||
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फिर ये बोतल हुई, हुई, न हुई | फिर ये बोतल हुई, हुई, न हुई | ||
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20:39, 13 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
आज है, कल हुई, हुई, न हुई
छांव हर पल हुई, हुई, न हुई
एक पहेली है ज़िंदगी अपनी
क्या पता हल हुई, हुई, न हुई
देह का फ़लसफ़ा बताता है
कल ये संदल हुई, हुई, न हुई
जो नदी तुझमें - मुझमें बह्ती है
उसमें कलकल हुई, हुई, न हुई
ये नुमाइश तो चार दिन की है
फिर ये हलचल हुई, हुई, न हुई
मानकर घास रौंद मत इसको
कल ये मखमल हुई, हुई, न हुई
जितना जी चाहे उतनी पी ले तू
फिर ये बोतल हुई, हुई, न हुई