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00:28, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
यहाँ से करीब ही
बहती है
सूखी हुई नदी
यहाँ बैठे-बैठे सुनता हूँ
सूखी नदी की लहरों का शोर
देखता हूँ एक नौका
जो सूखी नदी की लहरों में बढ़ी जा रही
एक सूखी नदी
जीवंत नदी की स्मृति बनी हुई है
एक
सूखी नदी के किनारे
जल से भरा खाली घड़ा लिए
वह स्त्री
घर की ओर लौट रही है।