भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जागृति / इन्साफ़ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(इस गीत के रचनाकार शकील बादायूंनी हैं। यह 1961 में बनी हिन्दी फिल्म ”गंगा जमुना“ का गीत है। जिसके ग)
 
छो (इन्साफ़ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के / जागृति का नाम बदलकर जागृति / इन्साफ़ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल क)
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 8 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKFilmSongCategories
 +
|वर्ग=देश भक्ति गीत
 +
}}
 +
{{KKFilmRachna
 +
|रचनाकार=शकील् बदयुनि
 +
}}
 +
<poem>
 +
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चो दिखाओ चल के
 +
यह देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
  
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
+
दुनिया के रंज सहना और कुछ मुँह से कहना
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के
+
 
+
दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
+
 
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
 
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
 
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
 
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
  
 
अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
 
अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज ना डगमगाए
+
देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज़ न डगमगाए
रस्ते बडे कठि‍न हैं, चलना संभल-संभल के
+
रस्ते बड़े कठि‍न हैं, चलना सँभल-सँभल के
  
इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना
+
इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन की देकर भेंट, भारत की लाज रखना
+
तन-मन की भेंट देकर , भारत की लाज रखना
 
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
 
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
 +
<poem>

16:00, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

रचनाकार: शकील् बदयुनि                 

इन्साफ़ की डगर पे, बच्चो दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के

दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के

अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज़ न डगमगाए
रस्ते बड़े कठि‍न हैं, चलना सँभल-सँभल के

इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना
तन-मन की भेंट देकर , भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के