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"जागृति / इन्साफ़ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के" के अवतरणों में अंतर

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इन्साफ़ की डगर पे, बच्चो दिखाओ चल के
 
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चो दिखाओ चल के
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यह देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
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दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
 
दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना

16:00, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

रचनाकार: शकील् बदयुनि                 

इन्साफ़ की डगर पे, बच्चो दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के

दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के

अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज़ न डगमगाए
रस्ते बड़े कठि‍न हैं, चलना सँभल-सँभल के

इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना
तन-मन की भेंट देकर , भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के