भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मोगरा / कुँअर रवीन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुँअर रवीन्द्र }} {{KKCatKavita}} <poem> मेरे बाग़ीचे में गु…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("मोगरा / कुँअर रवीन्द्र" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
लड़ रहा है वर्षों से | लड़ रहा है वर्षों से | ||
मेरे बाग़ीचे में गंधों-सुगंधों से | मेरे बाग़ीचे में गंधों-सुगंधों से | ||
− | अपनी | + | अपनी देसी महक लिए |
उसे खाद की, दवाई की ज़रूरत नहीं है | उसे खाद की, दवाई की ज़रूरत नहीं है |
21:41, 13 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
मेरे बाग़ीचे में
गुलाबों ,डेहलियों,पपियों
और ढेर सारे ख़ूबसूरत फूलों के बीच
एक कोने में मोगरे का पौधा
लड़ रहा है वर्षों से
मेरे बाग़ीचे में गंधों-सुगंधों से
अपनी देसी महक लिए
उसे खाद की, दवाई की ज़रूरत नहीं है
नहीं चाहता गुलदस्तों में सजना
रसिकों की कलाई में
और
नव-यौवनाओं के जूड़े से ही सन्तुष्ट है
अपना देसीपन लिए
मोगरा