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"तुम्हारा अकेलापन / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
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01:33, 4 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
ज़िन्दगी ले जा रही है कि मौत
मेरा समय कि तुम्हारा अकेलापन
कोई न कोई तो ले जा रहा है मुझे ज़रूर
ज़िन्दगी भटकाएगी पहले की तरह
मौत अलविदा कहने पर मजबूर करेगी सबसे
मेरा समय बचे हुए कामों पर लगा देगा मुस्तैदी से
तुम्हारा अकेलापन उदासियों की
एक ऐसी दुनिया के हवाले कर देगा
सब कुछ होगा जहाँ तुम्हारे अलावा
कैसी होगी
उदासियों की वह दुनिया
तुम्हारे बगैर
तुम्हारे अकेलेपन की याद दिलाती ?
रचनाकाल : 1992 मसोढ़ा