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"उपकार / मेरे देश की धरती" के अवतरणों में अंतर

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मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
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मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
 
मेरे देश की धरती
 
मेरे देश की धरती
  
 
बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं
 
बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं
ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुसकाते हैं
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ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुस्काते हैं
सुन के रहट की आवाज़ें यों लगे कहीं शहनाई बजे
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सुन के रहट की आवाज़ें यूँ लगे कहीं शहनाई बजे
 
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे
 
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जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अँगड़ाइयाँ लेती है
 
जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अँगड़ाइयाँ लेती है
क्यों ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है
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क्यों ना पूजें इस माटी को जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिसने जनम लिया उसने ही पाया प्यार तेरा
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इस धरती पे जिसने जन्म लिया उसने ही पाया प्यार तेरा
यहाँ अपना पराया कोई नही हैं सब पे माँ उपकार तेरा
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यहाँ अपना पराया कोई नही हैं सब पे है माँ उपकार तेरा
  
 
मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
 
मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
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गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
 
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
 
रंग हरा हरिसिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से
 
रंग हरा हरिसिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से
रंग बना बसंती भगतसिंह रंग अमन का वीर जवाहर से
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रंग बना बसंती भगतसिंह से रंग अमन का वीर जवाहर से
  
 
मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
 
मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
 
मेरे देश की धरती  
 
मेरे देश की धरती  
 
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19:46, 19 मार्च 2010 के समय का अवतरण

रचनाकार: इंदीवर                 

मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती

बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं
ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुस्काते हैं
सुन के रहट की आवाज़ें यूँ लगे कहीं शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती

जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अँगड़ाइयाँ लेती है
क्यों ना पूजें इस माटी को जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिसने जन्म लिया उसने ही पाया प्यार तेरा
यहाँ अपना पराया कोई नही हैं सब पे है माँ उपकार तेरा

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती

ये बाग़ हैं गौतम नानक का खिलते हैं अमन के फूल यहाँ
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
रंग हरा हरिसिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से
रंग बना बसंती भगतसिंह से रंग अमन का वीर जवाहर से

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती