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"भंवर / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
 
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अंगूर की बेलों में लिपट
 
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सो जाती धूप बीच दोपहर
 
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गहरी छायाओं में
 
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सोए हैं राक्षस
 
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सोए हैं योद्धा
 
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सोए हैं नायक
 
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सोया है पुरासमय खुर्राता
 
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अपने आपको दुहराते अभिशप्त वर्तमान में
 
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'''रचनाकाल: 4.12.2005
 
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4.12.2005
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17:51, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

अंगूर की बेलों में लिपट
सो जाती धूप बीच दोपहर
गहरी छायाओं में
सोए हैं राक्षस
सोए हैं योद्धा
सोए हैं नायक
सोया है पुरासमय खुर्राता
अपने आपको दुहराते अभिशप्त वर्तमान में

रचनाकाल: 4.12.2005