गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सौंह कियें ढरकौहे से नैन / बिहारी
28 bytes added
,
08:43, 29 दिसम्बर 2014
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavitt}}
<poem>
सौंह कियें ढरकौहे से नैन, टकी न टटै हिलकी हलियै।
मुँह आगै हू आये न सूझयौ कछू ,सु कहयौ कछु ये सुति साँभल ए।
भौर ते साँझि भई न अजौं, घरि भतिर बाहर कौ ढलिए।
रहे गेह की देहरी ठाढ़े दोऊ, उर लागी दुहून चलौ चलिए।।
</poem>
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,131
edits