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"फीकी फीकी शाम / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर

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}} <poem>फीकी फीकी शाम हवाओं में घुटती घुटती आवाजें
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फीकी फीकी शाम हवाओं में घुटती घुटती आवाजें
 
यूँ तो कोई बात नहीं पर फिर भी भारी भारी जी है,
 
यूँ तो कोई बात नहीं पर फिर भी भारी भारी जी है,
 
माथे पर दु:ख का धुँधलापन, मन पर गहरी गहरी छाया
 
माथे पर दु:ख का धुँधलापन, मन पर गहरी गहरी छाया
मुझको शायद मेरी आत्मा नें आवाज कहीं से दी है!</poem>
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मुझको शायद मेरी आत्मा नें आवाज कहीं से दी है!
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22:12, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

फीकी फीकी शाम हवाओं में घुटती घुटती आवाजें
यूँ तो कोई बात नहीं पर फिर भी भारी भारी जी है,
माथे पर दु:ख का धुँधलापन, मन पर गहरी गहरी छाया
मुझको शायद मेरी आत्मा नें आवाज कहीं से दी है!