"हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बाद / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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− | किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद < | + |
19:03, 20 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
हुस्न ग़म्ज़े<ref>नाज़ और अदा</ref> की कशाकश<ref>प्रयास</ref> से छुटा मेरे बाद
बारे आराम से है अहले-जफ़ा<ref>अत्याचारी लोग</ref> मेरे बाद
मंसब-ए-शेफ़्तगी<ref>पागलपन की गद्दी</ref> के कोई क़ाबिल न रहा
हुई मअ़ज़ूली<ref>रद्द</ref>-ए-अंदाज़-ओ-अदा मेरे बाद
शमअ़ बुझती है तो उस में से धुआँ उठता है
शोला-ए-इश्क़ सियहपोश<ref>काले कपड़ों वाला</ref> हुआ मेरे बाद
ख़ूँ है दिल ख़ाक में अहवाल<ref>हालत</ref>-ए-बुतां पर यानी
उनके नाख़ुन हुए मोहताज-ए-हिना मेरे बाद
दरख़ुर-ए-अ़र्ज़<ref>दिखाने के लिए</ref> नहीं जौहर-ए-बेदाद<ref>क्रूरता की किस्म</ref> को जा<ref>जगह</ref>
निगह-ए-नाज़<ref>अदा भरी नज़र</ref> है सुर्मे से ख़फ़ा मेरे बाद
है जुनूं अहले-जुनूं के लिये आग़ोश-ए-विदा
चाक़ होता है गिरेबां से जुदा मेरे बाद
कौन होता है हरीफ़<ref>सामना करने वाला</ref>-ए-मै-ए-मर्द-अफ़गन-ए-इश्क़<ref>उमंग की शराब जो बेहोश कर देती है</ref>
है मुकर्रर लब-ए-साक़ी में सला<ref>चुनौती</ref> मेरे बाद
ग़म से मरता हूँ कि इतना नहीं दुनिया में कोई
कि करे ताज़ियत<ref>दिलासा देना</ref>-ए-मेहर<ref>प्यार</ref>-ओ-वफ़ा मेरे बाद
आये है बेकसी<ref>अभाव</ref>-ए-इश्क़ पे रोना 'ग़ालिब'
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद