(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=राजस्थानी }} <poem> '''भाई को …) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=अज्ञात | |रचनाकार=अज्ञात | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
− | + | ||
− | }} | + | |
<poem> | <poem> | ||
'''भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है कि हे भैय्या! तुम्हारी बहन तो ससुराल में फ़िक्र करते हुए कमज़ोर हो गई है जाओ मिल आओ...''' | '''भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है कि हे भैय्या! तुम्हारी बहन तो ससुराल में फ़िक्र करते हुए कमज़ोर हो गई है जाओ मिल आओ...''' | ||
तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या! | तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या! | ||
− | नीन्दडली में | + | नीन्दडली में सूत्याँ राज। |
− | थारी | + | थारी तो माँ की जाया |
सासरियो में झूरे राज, | सासरियो में झूरे राज, | ||
झूरेगी झूर मरे, | झूरेगी झूर मरे, | ||
− | कोई | + | कोई काल्ड़ो काग उडावे राज |
− | उड़ रे म्हारो | + | उड़ रे म्हारो काल्ड़ो कागो, |
− | जे मेरो वीरो | + | जे मेरो वीरो आवै राज |
− | + | आवैगों आधी रात, | |
− | पिलंगन ताजन | + | पिलंगन ताजन सूती राज |
ऊठी छी वीर मिलन, | ऊठी छी वीर मिलन, | ||
− | न | + | न टूटयो बाई रो हारो राज |
हारो तो फेर पुओसां, | हारो तो फेर पुओसां, | ||
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज, | वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज, | ||
चुग देगी सोन चिड़ी | चुग देगी सोन चिड़ी | ||
− | + | और पो देगो बणजारो राज, | |
कैठे की सोन चिड़ी | कैठे की सोन चिड़ी | ||
न कैठे को बणजारो राज, | न कैठे को बणजारो राज, | ||
दिल्ली की सोन चिड़ी | दिल्ली की सोन चिड़ी | ||
− | + | और जेपुर को बणजारो राज, | |
के मांगे सोन चिड़ी | के मांगे सोन चिड़ी | ||
− | + | और के मांगे बणजारो राज, | |
घी मांगे सोन चिड़ी | घी मांगे सोन चिड़ी | ||
न गुड मांगे बणजारो राज, | न गुड मांगे बणजारो राज, | ||
घी देस्याँ सोन चिड़ी | घी देस्याँ सोन चिड़ी | ||
− | + | और गुड देस्याँ बणजारो राज, | |
− | तूं क्यों रायाँ | + | तूं क्यों रायाँ का भैय्या |
− | नीन्दडली में | + | नीन्दडली में सूत्याँ राज! |
</poem> | </poem> |
07:40, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है कि हे भैय्या! तुम्हारी बहन तो ससुराल में फ़िक्र करते हुए कमज़ोर हो गई है जाओ मिल आओ...
तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या!
नीन्दडली में सूत्याँ राज।
थारी तो माँ की जाया
सासरियो में झूरे राज,
झूरेगी झूर मरे,
कोई काल्ड़ो काग उडावे राज
उड़ रे म्हारो काल्ड़ो कागो,
जे मेरो वीरो आवै राज
आवैगों आधी रात,
पिलंगन ताजन सूती राज
ऊठी छी वीर मिलन,
न टूटयो बाई रो हारो राज
हारो तो फेर पुओसां,
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज,
चुग देगी सोन चिड़ी
और पो देगो बणजारो राज,
कैठे की सोन चिड़ी
न कैठे को बणजारो राज,
दिल्ली की सोन चिड़ी
और जेपुर को बणजारो राज,
के मांगे सोन चिड़ी
और के मांगे बणजारो राज,
घी मांगे सोन चिड़ी
न गुड मांगे बणजारो राज,
घी देस्याँ सोन चिड़ी
और गुड देस्याँ बणजारो राज,
तूं क्यों रायाँ का भैय्या
नीन्दडली में सूत्याँ राज!