Last modified on 9 सितम्बर 2016, at 07:40

"तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या! / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=राजस्थानी }} <poem> '''भाई को …)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=अज्ञात
 
|रचनाकार=अज्ञात
 
}}
 
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
+
{{KKCatRajasthaniRachna}}
|भाषा=राजस्थानी
+
}}
+
 
<poem>
 
<poem>
 
'''भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है कि हे भैय्या! तुम्हारी बहन तो ससुराल में फ़िक्र करते हुए कमज़ोर हो गई है जाओ मिल आओ...'''   
 
'''भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है कि हे भैय्या! तुम्हारी बहन तो ससुराल में फ़िक्र करते हुए कमज़ोर हो गई है जाओ मिल आओ...'''   
 
   
 
   
 
तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या!
 
तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या!
नीन्दडली में सुत्यां राज।  
+
नीन्दडली में सूत्याँ राज।  
थारी तो माँ की जाया  
+
थारी तो माँ की जाया  
 
सासरियो में झूरे राज,  
 
सासरियो में झूरे राज,  
 
झूरेगी झूर मरे,  
 
झूरेगी झूर मरे,  
कोई कालो काग उडावे राज  
+
कोई काल्ड़ो काग उडावे राज  
उड़ रे म्हारो कालो कागो,
+
उड़ रे म्हारो काल्ड़ो कागो,
जे मेरो वीरो आवे राज  
+
जे मेरो वीरो आवै राज  
आवेगों आधी रात,  
+
आवैगों आधी रात,  
पिलंगन ताजन उठी राज  
+
पिलंगन ताजन सूती राज  
 
ऊठी छी वीर मिलन,  
 
ऊठी छी वीर मिलन,  
टूटयो बाई रो हारो राज  
+
न टूटयो बाई रो हारो राज  
 
हारो तो फेर पुओसां,
 
हारो तो फेर पुओसां,
 
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज,  
 
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज,  
 
चुग देगी सोन चिड़ी
 
चुग देगी सोन चिड़ी
पो देगो बणजारो राज,     
+
और पो देगो बणजारो राज,     
 
कैठे की सोन चिड़ी  
 
कैठे की सोन चिड़ी  
 
न कैठे को बणजारो राज,  
 
न कैठे को बणजारो राज,  
 
दिल्ली की सोन चिड़ी  
 
दिल्ली की सोन चिड़ी  
जेपुर को बणजारो राज,  
+
और जेपुर को बणजारो राज,  
 
के मांगे सोन चिड़ी  
 
के मांगे सोन चिड़ी  
के मांगे बणजारो राज,  
+
और के मांगे बणजारो राज,  
 
घी मांगे सोन चिड़ी
 
घी मांगे सोन चिड़ी
 
न गुड मांगे बणजारो राज,
 
न गुड मांगे बणजारो राज,
 
घी देस्याँ सोन चिड़ी  
 
घी देस्याँ सोन चिड़ी  
गुड देस्याँ बणजारो राज,  
+
और गुड देस्याँ बणजारो राज,  
तूं क्यों रायाँ का भैय्या  
+
तूं क्यों रायाँ का भैय्या  
नीन्दडली में सुत्याँ राज!  
+
नीन्दडली में सूत्याँ राज!  
 
</poem>
 
</poem>

07:40, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भाई को बहन से मिलने ससुराल जाने को कहा जा रहा है कि हे भैय्या! तुम्हारी बहन तो ससुराल में फ़िक्र करते हुए कमज़ोर हो गई है जाओ मिल आओ...
 
तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या!
नीन्दडली में सूत्याँ राज।
थारी तो माँ की जाया
सासरियो में झूरे राज,
झूरेगी झूर मरे,
कोई काल्ड़ो काग उडावे राज
उड़ रे म्हारो काल्ड़ो कागो,
जे मेरो वीरो आवै राज
आवैगों आधी रात,
पिलंगन ताजन सूती राज
ऊठी छी वीर मिलन,
न टूटयो बाई रो हारो राज
हारो तो फेर पुओसां,
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज,
चुग देगी सोन चिड़ी
और पो देगो बणजारो राज,
कैठे की सोन चिड़ी
न कैठे को बणजारो राज,
दिल्ली की सोन चिड़ी
और जेपुर को बणजारो राज,
के मांगे सोन चिड़ी
और के मांगे बणजारो राज,
घी मांगे सोन चिड़ी
न गुड मांगे बणजारो राज,
घी देस्याँ सोन चिड़ी
और गुड देस्याँ बणजारो राज,
तूं क्यों रायाँ का भैय्या
नीन्दडली में सूत्याँ राज!