भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(7 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 140 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<div class='box_lk' style="background-color:#DD5511;width:100%; align:center"><div class='boxtop_lk'><div></div></div>
+
<div style="background:#eee; padding:10px">
<div class='boxheader_lk' style='background-color:#DD5511; color:#ffffff'></div>
+
<div style="background: transparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:0px inset #aaa; padding:10px">
<div id="kkHomePageSearchBoxDiv" class='boxcontent_lk' style='background-color:#FFF3DF;border:1px solid #DD5511;'>
+
 
<!----BOX CONTENT STARTS------>
+
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
<table width=100% style="background:transparent">
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
+
 
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
+
<div style="text-align: center;">
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: अय तिरंगे शान तेरी<br>
+
रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[जगदीश तपिश]]</td>
+
</div>
</tr>
+
 
</table>
+
<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम
+
अपरिचित पास आओ
तू हमारा दिल जिगर है तू हमारी जान है
+
 
तू भरत है तू ही भारत तू ही हिन्दुस्तान है
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
तू हमारी आत्मा है तू हमारी जान है  
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
तेरी खुशबू से महकती देश की माटी हवा
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
हर लहर गंगा की तेरे गीत गाती है सदा
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
तू हिमालय के शिखर पर कर रहा अठखेलियां
+
 
तेरी छांव में थिरकती प्यार की सौ बोलियां
+
सबमें अपनेपन की माया
तू हमारा धर्म है मजहब है तू ईमान है
+
अपने पन में जीवन आया
+
</div>
जागरण है रंग केसरिया तेरे अध्यात्म का
+
</div></div>
चक्र सीने पर है तेरे स्फुरित विश्वास का
+
भारती की आंख का तारा बना है रंग हरा
+
तू दीवाली तू ही होली और तू ही दशहरा 
+
आस्था है तू जवानों की वतन की आन है
+
+
तू शहीदों की शहादत से लिपटकर जब चला
+
भारती के लाल की तुरबत से उठ के जब चला
+
आंख भर आई करोडों सर झुके सम्मान में  
+
देखते हैं हम तुझे हर वीर के मन प्राण में
+
देश का बचपन जवानी तुझ पे सब कुर्बान है
+
</pre>
+
<!----BOX CONTENT ENDS------>
+
</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
+

19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया