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"लौट आ रे / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर

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लेखक: [[कुँअर बेचैन]]
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लौट आ रे !
 
लौट आ रे !
 
 
ओ प्रवासी जल !
 
ओ प्रवासी जल !
 
 
फिर से लौट आ !
 
फिर से लौट आ !
 
  
 
रह गया है प्रण मन में
 
रह गया है प्रण मन में
 
 
रेत, केवल रेत जलता
 
रेत, केवल रेत जलता
 
 
खो गई है हर लहर की
 
खो गई है हर लहर की
 
 
मौन लहराती तरलता
 
मौन लहराती तरलता
 
 
कह रहा है चीख कर मरुथल
 
कह रहा है चीख कर मरुथल
 
 
फिर से लौट आ रे!
 
फिर से लौट आ रे!
 
  
 
लौट आ रे !
 
लौट आ रे !
 
 
ओ प्रवासी जल !
 
ओ प्रवासी जल !
 
 
फिर से लौट आ !
 
फिर से लौट आ !
 
  
 
सिंधु सूखे, नदी सूखी
 
सिंधु सूखे, नदी सूखी
 
 
झील सूखी, ताल सूखे
 
झील सूखी, ताल सूखे
 
 
नाव, ये पतवार सूखे
 
नाव, ये पतवार सूखे
 
 
पाल सूखे, जाल सूखे
 
पाल सूखे, जाल सूखे
 
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सूखने अब लग गए उत्पल,
सूख्सने अब लग गए उत्पल,
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फिर से लौट आ रे !
 
फिर से लौट आ रे !
 
  
 
लौट आ रे !
 
लौट आ रे !
 
 
ओ प्रवासी जल !
 
ओ प्रवासी जल !
 
 
फिर से लौट आ !
 
फिर से लौट आ !
 
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-- यह कविता [[deepak]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>
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14:09, 10 मई 2009 के समय का अवतरण

लौट आ रे !
ओ प्रवासी जल !
फिर से लौट आ !

रह गया है प्रण मन में
रेत, केवल रेत जलता
खो गई है हर लहर की
मौन लहराती तरलता
कह रहा है चीख कर मरुथल
फिर से लौट आ रे!

लौट आ रे !
ओ प्रवासी जल !
फिर से लौट आ !

सिंधु सूखे, नदी सूखी
झील सूखी, ताल सूखे
नाव, ये पतवार सूखे
पाल सूखे, जाल सूखे
सूखने अब लग गए उत्पल,
फिर से लौट आ रे !

लौट आ रे !
ओ प्रवासी जल !
फिर से लौट आ !