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"पकरि बस कीने री नँदलाल / घनानंद" के अवतरणों में अंतर

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काजर दियौ खिलार राधिका, मुख सों मसलि गुलाल ॥
 
काजर दियौ खिलार राधिका, मुख सों मसलि गुलाल ॥
 
चपल चलन कों अति ही अरबर, छूटि न सके प्रेम के जाल ।
 
चपल चलन कों अति ही अरबर, छूटि न सके प्रेम के जाल ।
सूधे किये बंक ब्रजमोहन, ’आनँदघन’ रस-ख्याल ॥१॥
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सूधे किये बंक ब्रजमोहन, ’आनँदघन’ रस-ख्याल
 
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14:38, 27 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

(राग केदारौ)

पकरि बस कीने री नँदलाल ।
काजर दियौ खिलार राधिका, मुख सों मसलि गुलाल ॥
चपल चलन कों अति ही अरबर, छूटि न सके प्रेम के जाल ।
सूधे किये बंक ब्रजमोहन, ’आनँदघन’ रस-ख्याल ॥