भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अनन्त मुखी / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
भर पेट खाने के बाद | भर पेट खाने के बाद | ||
लोटा भर पानी पी | लोटा भर पानी पी | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 12: | ||
सो जाता है आदमी | सो जाता है आदमी | ||
सजग आँखों | सजग आँखों | ||
− | बच्चों का | + | बच्चों का लौटना देखती |
− | + | ||
नल की धार तले | नल की धार तले | ||
दो थालियाँ रखती | दो थालियाँ रखती |
13:38, 7 मार्च 2010 के समय का अवतरण
भर पेट खाने के बाद
लोटा भर पानी पी
बरामदे में पड़े तख़्त पर
लेटते ही
सो जाता है आदमी
सजग आँखों
बच्चों का लौटना देखती
नल की धार तले
दो थालियाँ रखती
औरत पर नहीं चढ़ती
ख़ुमारी रोटी की
अलस संतोष घेरता ही नहीं
कि उसकी भूख तो अनन्त
अनन्त मुखों से
खाकर चुकने वाली