भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दामोदर जोशी 'देवांशु'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "KKAnooditRachnakaar" to "KKParichay") |
||
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | {{ | + | {{KKParichay |
|चित्र= Damodar_Joshi.JPG | |चित्र= Damodar_Joshi.JPG | ||
|नाम=दामोदर जोशी 'देवांशु' | |नाम=दामोदर जोशी 'देवांशु' | ||
− | |उपनाम= | + | |उपनाम= देवांशु |
− | |जन्म= | + | |जन्म= 08 दिसंबर 1949 |
|मृत्यु= | |मृत्यु= | ||
− | |जन्मस्थान= | + | |जन्मस्थान= ग्राम तोली (कपकोट) जिला बागेश्वर, [[उत्तराखंड]]. |
− | |कृतियाँ= | + | |कृतियाँ= कुदरत, पखांण, शिखर, गद्यांजलि, अन्वार, आपणि पन्यार आदि |
− | |विविध= | + | |विविध= आपकी लेखनी कभी चंद वंशीय राजाओं की राष्ट्रभाषा रही कुमाउनी के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी में भी सामान रूप से चलती है। कुमाउनी में पहले गद्य-संग्रह (गद्यांजलि), पहले कहानी-संग्रह (अन्वार) और पहले नाटक-संग्रह (आपणि पन्यार) के सम्पादन का श्रेय श्री जोशी को जाता है। लुप्त हो रही लोकभाषा कुमाउनी में खुद लिखने के साथ-साथ दूसरों को भी प्रेरित कर उनसे लिखवाते हैं। |
|जीवनी=[[दामोदर जोशी 'देवांशु' / परिचय]] | |जीवनी=[[दामोदर जोशी 'देवांशु' / परिचय]] | ||
+ | {{KKCatUttarakhand}} | ||
}} | }} | ||
* [[श्री श्री श्रीमान / दामोदर जोशी 'देवांशु']] | * [[श्री श्री श्रीमान / दामोदर जोशी 'देवांशु']] | ||
* [[उनकी पूजा / दामोदर जोशी 'देवांशु']] | * [[उनकी पूजा / दामोदर जोशी 'देवांशु']] | ||
+ | * [[माया पहाड़ की / दामोदर जोशी 'देवांशु']] | ||
+ | * [[विलायती बच्चे / दामोदर जोशी 'देवांशु']] | ||
+ | * [[नींव का पत्थर / दामोदर जोशी 'देवांशु']] |
10:38, 15 मार्च 2017 के समय का अवतरण
दामोदर जोशी 'देवांशु'
जन्म | 08 दिसंबर 1949 |
---|---|
उपनाम | देवांशु |
जन्म स्थान | ग्राम तोली (कपकोट) जिला बागेश्वर, उत्तराखंड. |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
कुदरत, पखांण, शिखर, गद्यांजलि, अन्वार, आपणि पन्यार आदि | |
विविध | |
आपकी लेखनी कभी चंद वंशीय राजाओं की राष्ट्रभाषा रही कुमाउनी के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी में भी सामान रूप से चलती है। कुमाउनी में पहले गद्य-संग्रह (गद्यांजलि), पहले कहानी-संग्रह (अन्वार) और पहले नाटक-संग्रह (आपणि पन्यार) के सम्पादन का श्रेय श्री जोशी को जाता है। लुप्त हो रही लोकभाषा कुमाउनी में खुद लिखने के साथ-साथ दूसरों को भी प्रेरित कर उनसे लिखवाते हैं। | |
जीवन परिचय | |
दामोदर जोशी 'देवांशु' / परिचय |