भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुन्दर विश्वासों से ही / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= गुंजन / सुमित्रानंदन …) |
छो ("सुन्दर विश्वासों से ही / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:11, 13 मई 2010 के समय का अवतरण
सुन्दर विश्वासों से ही
बनता रे सुखमय-जीवन,
ज्यों सहज-सहज साँसों से
चलता उर का मृदु स्पन्दन।
हँसने ही में तो है सुख
यदि हँसने को होवे मन,
भाते हैं दुख में आते
मोती-से आँसू के कण!
महिमा के विशद-जलधि में
हैं छोटे-छोटे-से कण,
अणु से विकसित जग-जीवन,
लघु अणु का गुरुतम साधन!
जीवन के नियम सरल हैं,
पर है चिर-गूढ़ सरलपन;
है सहज मुक्ति का मधु-क्षण,
पर कठिन मुक्ति का बन्धन!
रचनाकाल: जनवरी’ १९३२