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"यों ही / सू शि" के अवतरणों में अंतर

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02:28, 15 मई 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: सू शि  » यों ही

पाले से
मेरे केश
झूलते हवा में
छोटे से बरामदे में
बीमार-सा लेटा
बेंत की चारपाई पर

वैद्य ने इस वसन्त
बताई है मुझे दिव्य नींद

संभल कर बजाता
ताओ भिक्षु
पांचवे पहर का गजर।


मूल चीनी भाषा से अनुवाद : त्रिनेत्र जोशी