भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जीवन गाते गाते बीते / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह= नाव सिन्धु में छोड़ी  / गुलाब खंडेलवाल
+
|संग्रह= अंतःसलिला / गुलाब खंडेलवाल
 
}}
 
}}
 
[[Category:गीत]]
 
[[Category:गीत]]
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
  
 
       जीवन गाते-गाते बीते  
 
       जीवन गाते-गाते बीते  
और पहुँच कर अन्तिम सुर पर सुमनान्जलि सा रीते
+
और पहुँच कर अन्तिम सुर पर सुमनान्जलि-सा रीते
  
 
  दिन भर सागर-तट पर गाऊँ
 
  दिन भर सागर-तट पर गाऊँ
  बालू के घर बना-मिटाऊँ
+
  बालू के घर बना-मिटाऊँ
  गाते ही गाते घर आऊँ
+
  गाते ही गाते घर आऊँ
 
                             सोच न हारे-जीते
 
                             सोच न हारे-जीते
  
  नव नव धुन जागे जीवन में
+
  नव नव धुन जागे क्षण-क्षण में
 
  नित नव राग उठे जीवन में
 
  नित नव राग उठे जीवन में
 
  गीतों मे सज दूँ जो मन में
 
  गीतों मे सज दूँ जो मन में
                             दुःख हों मीठे-तीते
+
                             दुख हों मीठे-तीते
 
                         जीवन गाते-गाते बीते
 
                         जीवन गाते-गाते बीते
और पहुँच कर अन्तिम सुर पर सुमनान्जलि सा रीते
+
और पहुँच कर अन्तिम सुर पर सुमनान्जलि-सा रीते
 
<poem>
 
<poem>

21:38, 29 अगस्त 2012 के समय का अवतरण


       जीवन गाते-गाते बीते
और पहुँच कर अन्तिम सुर पर सुमनान्जलि-सा रीते

 दिन भर सागर-तट पर गाऊँ
  बालू के घर बना-मिटाऊँ
  गाते ही गाते घर आऊँ
                             सोच न हारे-जीते

 नव नव धुन जागे क्षण-क्षण में
 नित नव राग उठे जीवन में
 गीतों मे सज दूँ जो मन में
                            दुख हों मीठे-तीते
                         जीवन गाते-गाते बीते
और पहुँच कर अन्तिम सुर पर सुमनान्जलि-सा रीते