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"हमारी भावनाएँ / अलका सर्वत मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

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देखो
 
देखो
हमारी भावनाएं
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हमारी भावनाएँ
 
अब  
 
अब  
भावनाएं नहीं रहीं  
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भावनाएँ नहीं रहीं  
 
ये बन गयी हैं  
 
ये बन गयी हैं  
 
बिफरा नाग  
 
बिफरा नाग  
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घातक ही होगा  
 
घातक ही होगा  
 
तुम्हारे लिए !
 
तुम्हारे लिए !
__ बहुत सहे हैं  
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बहुत सहे हैं  
 
आघात पर आघात
 
आघात पर आघात
 
किन्तु
 
किन्तु
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ये गांधीवादी राह  
 
ये गांधीवादी राह  
 
विफल हो गयी लगती है !!
 
विफल हो गयी लगती है !!
__हम इन्तेजार ही करते रह गये  
+
 
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हम इन्तजार ही करते रह गये  
 
कि कभी तुम्हें भी
 
कि कभी तुम्हें भी
 
हमारी भूख का एहसास हो,
 
हमारी भूख का एहसास हो,
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हमारी खुशियों में  
 
हमारी खुशियों में  
 
तुम भी वाह करो !!!
 
तुम भी वाह करो !!!
__अब ख़त्म हो चुकी हैं  
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इन्तेजार की घड़ियाँ   
+
अब ख़त्म हो चुकी हैं  
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इन्तजार की घड़ियाँ   
 
आर-पार का संघर्ष है ये ,
 
आर-पार का संघर्ष है ये ,
__हमारे हाथों में  
+
हमारे हाथों में  
 
तलवार ही  
 
तलवार ही  
 
शायद तुम्हें पसंद हो !
 
शायद तुम्हें पसंद हो !
___पहले बता दिया होता  
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पहले बता दिया होता  
 
हम शान्तिपसंद /
 
हम शान्तिपसंद /
 
प्रेम के पुजारी  
 
प्रेम के पुजारी  
 
लहू बहाना भी जानते हैं .
 
लहू बहाना भी जानते हैं .
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</poem>

16:01, 7 जून 2010 के समय का अवतरण

देखो
हमारी भावनाएँ
अब
भावनाएँ नहीं रहीं
ये बन गयी हैं
बिफरा नाग
अब तो
ज़रा सा छेड़ना
घातक ही होगा
तुम्हारे लिए !

बहुत सहे हैं
आघात पर आघात
किन्तु
प्रत्याघात से ,दूर ही रहे हम
आज
ये गांधीवादी राह
विफल हो गयी लगती है !!

हम इन्तजार ही करते रह गये
कि कभी तुम्हें भी
हमारी भूख का एहसास हो,
हमारी प्यास सुखा दे
तुम्हारे अधरों को,
हमारी तकलीफ पर
तुम आह भरो
हमारी खुशियों में
तुम भी वाह करो !!!

अब ख़त्म हो चुकी हैं
इन्तजार की घड़ियाँ
आर-पार का संघर्ष है ये ,
हमारे हाथों में
तलवार ही
शायद तुम्हें पसंद हो !

पहले बता दिया होता
हम शान्तिपसंद /
प्रेम के पुजारी
लहू बहाना भी जानते हैं .