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"लोग / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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− | सूखे मन ले जाते लोग | + | सूखे मन ले जाते लोग । |
होंठों पर षड्यंत्री चुप्पी, | होंठों पर षड्यंत्री चुप्पी, | ||
− | मन की गाँठ दिखाते लोग | + | मन की गाँठ दिखाते लोग । |
चंदा जाए झूलाघर तो, | चंदा जाए झूलाघर तो, | ||
− | घर झूला ला पाते लोग | + | घर झूला ला पाते लोग । |
आपनी अपनी पीर लिए सब, | आपनी अपनी पीर लिए सब, | ||
− | रोते लोग रुलाते लोग | + | रोते लोग रुलाते लोग । |
शुद्ध गणित की भाषा मे अब, | शुद्ध गणित की भाषा मे अब, | ||
− | गीत गज़ल भी गाते लोग | + | गीत गज़ल भी गाते लोग । |
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12:13, 11 जून 2010 के समय का अवतरण
भीगे रुमाल हिलाते लोग,
सूखे मन ले जाते लोग ।
होंठों पर षड्यंत्री चुप्पी,
मन की गाँठ दिखाते लोग ।
चंदा जाए झूलाघर तो,
घर झूला ला पाते लोग ।
आपनी अपनी पीर लिए सब,
रोते लोग रुलाते लोग ।
शुद्ध गणित की भाषा मे अब,
गीत गज़ल भी गाते लोग ।