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"अब न रहो दूर / राधेश्याम बन्धु" के अवतरणों में अंतर

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याद की मुंडेरी पर  
 
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टेर रहा  
 
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द्वार-द्वार मधुऋतु का प्यार,  
 
द्वार-द्वार मधुऋतु का प्यार,  
 
अब न  
 
अब न  
रहो दूर खिले आँगन कचनार।
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रहो दूर खिले आँगन कचनार ।
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सरसों को रिझा रही  
 
सरसों को रिझा रही  
 
अलसी की डालियाँ,  
 
अलसी की डालियाँ,  
 
मेढों पर इठलाती  
 
मेढों पर इठलाती  
गेहूँ की बालियाँ।
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गेहूँ की बालियाँ ।
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बनजारिन  
 
बनजारिन  
गन्ध लिखे पत्र बार-बार।
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गन्ध लिखे पत्र बार-बार ।
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कभी-कभी होती है  
 
कभी-कभी होती है  
 
नयनों से बात,  
 
नयनों से बात,  
 
उम्र भर महकती है  
 
उम्र भर महकती है  
एक मुलाकात।
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एक मुलाकात ।
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करे रात  
 
करे रात  
 
रात एक गन्ध इन्तजार।  
 
रात एक गन्ध इन्तजार।  
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याद की मुंडेरी पर  
 
याद की मुंडेरी पर  
 
कागा का शोर,  
 
कागा का शोर,  
 
भिगो-भिगो जाता है  
 
भिगो-भिगो जाता है  
काजल की कोर।
+
काजल की कोर ।
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सूनापन  
 
सूनापन  
 
राह तके खडे-खडे द्वार,  
 
राह तके खडे-खडे द्वार,  

19:13, 14 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

याद की मुंडेरी पर
टेर रहा
द्वार-द्वार मधुऋतु का प्यार,
अब न
रहो दूर खिले आँगन कचनार ।
 
सरसों को रिझा रही
अलसी की डालियाँ,
मेढों पर इठलाती
गेहूँ की बालियाँ ।

बनजारिन
गन्ध लिखे पत्र बार-बार ।

कभी-कभी होती है
नयनों से बात,
उम्र भर महकती है
एक मुलाकात ।
 
करे रात
रात एक गन्ध इन्तजार।

याद की मुंडेरी पर
कागा का शोर,
भिगो-भिगो जाता है
काजल की कोर ।
 
सूनापन
राह तके खडे-खडे द्वार,
अब न
रहो दूर खिले आँगन कचनार