भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वह राम है / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=151 बाल-कविताएँ / रमेश कौशिक }} {{KKC…) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=रमेश कौशिक | |रचनाकार=रमेश कौशिक | ||
|संग्रह=151 बाल-कविताएँ / रमेश कौशिक | |संग्रह=151 बाल-कविताएँ / रमेश कौशिक | ||
− | }} | + | }} |
+ | {{KKAnthologyRam}} | ||
{{KKCatBaalKavita}} | {{KKCatBaalKavita}} | ||
− | <poem> | + | <poem> |
+ | गंध बन जो फूल को महका रहा | ||
+ | वह राम है | ||
+ | पंछियों के कंठ से जो गा रहा | ||
+ | वह राम है। | ||
+ | हर किसी की आँख से जो दिप रहा | ||
+ | वह राम है | ||
+ | हर किसी की आँख से जो छिप रहा | ||
+ | वह राम है। | ||
+ | |||
+ | तारकों में झिलमिलाता जो सदा | ||
+ | वह राम है। | ||
+ | |||
+ | बादलों से सिंधु तक जो बह रहा | ||
+ | वह राम है | ||
+ | मौन रह कर जो सभी कुछ कह रहा | ||
+ | वह राम है। | ||
+ | |||
+ | जो हमारी साँस में आ-जा रहा | ||
+ | वह राम है | ||
+ | जो धरा से व्योम तक है रम रहा | ||
+ | वह राम है। | ||
+ | <poem> |
19:39, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
गंध बन जो फूल को महका रहा
वह राम है
पंछियों के कंठ से जो गा रहा
वह राम है।
हर किसी की आँख से जो दिप रहा
वह राम है
हर किसी की आँख से जो छिप रहा
वह राम है।
तारकों में झिलमिलाता जो सदा
वह राम है।
बादलों से सिंधु तक जो बह रहा
वह राम है
मौन रह कर जो सभी कुछ कह रहा
वह राम है।
जो हमारी साँस में आ-जा रहा
वह राम है
जो धरा से व्योम तक है रम रहा
वह राम है।