"शिकस्त / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
+ | |रचनाकार=साहिर लुधियानवी | ||
+ | |संग्रह=परछाईयाँ (संग्रह) / साहिर लुधियानवी | ||
+ | }} | ||
+ | |||
+ | <poem> | ||
[[Category:नज़्म]] | [[Category:नज़्म]] | ||
− | |||
− | |||
− | |||
अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश<br> | अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश<br> | ||
− | मुद्दतों ज़ीस्त को नाशाद किया है मैनें<br> | + | मुद्दतों ज़ीस्त<sup>1</sup> को नाशाद<sup>2</sup> किया है मैनें<br> |
तूने तो एक ही सदमे से किया था दो चार<br> | तूने तो एक ही सदमे से किया था दो चार<br> | ||
दिल को हर तरह से बर्बाद किया है मैनें<br> | दिल को हर तरह से बर्बाद किया है मैनें<br> | ||
− | जब भी राहों में नज़र आये हरीरी मलबूस<br> | + | जब भी राहों में नज़र आये हरीरी मलबूस<sup>3</sup><br> |
सर्द आहों से तुझे याद किया है मैनें<br><br> | सर्द आहों से तुझे याद किया है मैनें<br><br> | ||
और अब जब कि मेरी रूह की पहनाई में<br> | और अब जब कि मेरी रूह की पहनाई में<br> | ||
एक सुनसान सी मग़्मूम घटा छाई है<br> | एक सुनसान सी मग़्मूम घटा छाई है<br> | ||
− | तू दमकते हुए आरिज़ की शुआयेँ लेकर<br> | + | तू दमकते हुए आरिज़<sup>4</sup> की शुआयेँ<sup>5</sup> लेकर<br> |
− | गुलशुदा शम्मएँ जलाने को चली आई है<br><br> | + | गुलशुदा<sup>6</sup> शम्मएँ<sup>7</sup> जलाने को चली आई है<br><br> |
− | मेरी महबूब ये हन्गामा-ए-तजदीद-ए-वफ़ा<br> | + | मेरी महबूब ये हन्गामा-ए-तजदीद<sup>8</sup>-ए-वफ़ा<br> |
− | मेरी अफ़सुर्दा जवानी के लिये रास नहीं<br> | + | मेरी अफ़सुर्दा<sup>9</sup> जवानी के लिये रास नहीं<br> |
मैं ने जो फूल चुने थे तेरे क़दमों के लिये<br> | मैं ने जो फूल चुने थे तेरे क़दमों के लिये<br> | ||
− | उन का धुंधला-सा तसव्वुर भी मेरे पास नहीं<br><br> | + | उन का धुंधला-सा तसव्वुर<sup>10</sup> भी मेरे पास नहीं<br><br> |
− | एक यख़बस्ता उदासी है दिल-ओ-जाँ पे मुहीत<br> | + | एक यख़बस्ता<sup>11</sup> उदासी है दिल-ओ-जाँ पे मुहीत<sup>12</sup><br> |
अब मेरी रूह में बाक़ी है न उम्मीद न जोश<br> | अब मेरी रूह में बाक़ी है न उम्मीद न जोश<br> | ||
− | रह गया दब के गिराँबार सलासिल के तले<br> | + | रह गया दब के गिराँबार<sup>13</sup> सलासिल<sup>14</sup> के तले<br> |
− | मेरी दरमान्दा जवानी की उमन्गों का ख़रोश<br><br> | + | मेरी दरमान्दा<sup>15</sup> जवानी की उमन्गों का ख़रोश<br><br> |
− | + | ||
+ | </poem> | ||
− | जीस्त- ज़िंदगी । नाशाद- ग़मग़ीन, उत्साहहीन । हरीरी मलबूस - रेशमा कपड़े का टुकड़ा । आरिज़ - गाल और होंठों के अंग । शुआ - किरण । गुलशुदा - बुझ चुकी, मृतप्राय । शम्मा - आग । तज़दीद - पुनरोद्भव, फिर से जाग उठना । अफ़सुर्दा - मुरझाई हुई, कुम्हलाई हुई । तसव्वुर -ख़याल, विचार, याद । यख़बस्ता - जमी हुई । मुहीत -फैला हुआ । गिराँबार - तनी हुई, कसी हुई । सलासिल - ज़ंजीर । दरमान्दा - असहाय, बेसहारा | + | 1 जीस्त- ज़िंदगी । 2 नाशाद- ग़मग़ीन, उत्साहहीन । 3 हरीरी मलबूस - रेशमा कपड़े का टुकड़ा । 4 आरिज़ - गाल और होंठों के अंग । 5 शुआ - किरण । 6 गुलशुदा - बुझ चुकी, मृतप्राय । 7 शम्मा - आग । 8 तज़दीद - पुनरोद्भव, फिर से जाग उठना । 9 अफ़सुर्दा - मुरझाई हुई, कुम्हलाई हुई । 10 तसव्वुर -ख़याल, विचार, याद । 11 यख़बस्ता - जमी हुई । 12 मुहीत -फैला हुआ । 13 गिराँबार - तनी हुई, कसी हुई । 14 सलासिल - ज़ंजीर । 15 दरमान्दा - असहाय, बेसहारा |
15:26, 1 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश
मुद्दतों ज़ीस्त1 को नाशाद2 किया है मैनें
तूने तो एक ही सदमे से किया था दो चार
दिल को हर तरह से बर्बाद किया है मैनें
जब भी राहों में नज़र आये हरीरी मलबूस3
सर्द आहों से तुझे याद किया है मैनें
और अब जब कि मेरी रूह की पहनाई में
एक सुनसान सी मग़्मूम घटा छाई है
तू दमकते हुए आरिज़4 की शुआयेँ5 लेकर
गुलशुदा6 शम्मएँ7 जलाने को चली आई है
मेरी महबूब ये हन्गामा-ए-तजदीद8-ए-वफ़ा
मेरी अफ़सुर्दा9 जवानी के लिये रास नहीं
मैं ने जो फूल चुने थे तेरे क़दमों के लिये
उन का धुंधला-सा तसव्वुर10 भी मेरे पास नहीं
एक यख़बस्ता11 उदासी है दिल-ओ-जाँ पे मुहीत12
अब मेरी रूह में बाक़ी है न उम्मीद न जोश
रह गया दब के गिराँबार13 सलासिल14 के तले
मेरी दरमान्दा15 जवानी की उमन्गों का ख़रोश
1 जीस्त- ज़िंदगी । 2 नाशाद- ग़मग़ीन, उत्साहहीन । 3 हरीरी मलबूस - रेशमा कपड़े का टुकड़ा । 4 आरिज़ - गाल और होंठों के अंग । 5 शुआ - किरण । 6 गुलशुदा - बुझ चुकी, मृतप्राय । 7 शम्मा - आग । 8 तज़दीद - पुनरोद्भव, फिर से जाग उठना । 9 अफ़सुर्दा - मुरझाई हुई, कुम्हलाई हुई । 10 तसव्वुर -ख़याल, विचार, याद । 11 यख़बस्ता - जमी हुई । 12 मुहीत -फैला हुआ । 13 गिराँबार - तनी हुई, कसी हुई । 14 सलासिल - ज़ंजीर । 15 दरमान्दा - असहाय, बेसहारा