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"आग में / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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18:51, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

आकाश में
गिद्धों की तरह तिर रहे हैं
हवाई जहाज़-हैलीकॉप्टर

आग में ओटी हुई बाटी
उथलना भूल जाती हैं
चूल्हे के पास बैठी हुई औरतें

धमाके.... धमाके.... धमाके...

अब बाटी उथलने से क्या होगा ?
अब तो
सब कुछ आग में ही है !

अनुवाद : मोहन आलोक