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"व्यर्थ / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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काका या संसार में, व्यर्थ भैंस अरु गाय ।    
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काका या संसार में, व्यर्थ भैंस अरु गाय ।
 
मिल्क पाउडर डालकर पी लिपटन की चाय ॥
 
मिल्क पाउडर डालकर पी लिपटन की चाय ॥
 
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पी लिपटन की चाय साहबी ठाठ बनाओ ।
पी लिपटन की चाय साहबी ठाठ बनाओ ।
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सिंगल रोटी छोड़ डबल रोटी तुम खाओ ॥
 
सिंगल रोटी छोड़ डबल रोटी तुम खाओ ॥
 
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कहँ ‘काका' कविराय, पैंट के घुस जा अंदर ।
कहँ ‘काका' कविराय, पैंट के घुस जा अंदर ।
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देशी बाना छोड़ बनों अँग्रेजी बन्दर ॥
 
देशी बाना छोड़ बनों अँग्रेजी बन्दर ॥
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जप-तप-तीरथ व्यर्थ हैं, व्यर्थ यज्ञ औ योग ।
जप-तप-तीरथ व्यर्थ हैं, व्यर्थ यज्ञ औ योग ।
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करज़ा लेकर खाइये नितप्रति मोहन भोग ॥
 
करज़ा लेकर खाइये नितप्रति मोहन भोग ॥
 
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नितप्रति मोहन भोग, करो काया की पूजा ।
नितप्रति मोहन भोग, करो काया की पूजा ।
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आत्मयज्ञ से बढ़कर यज्ञ नहीं है दूजा ॥
 
आत्मयज्ञ से बढ़कर यज्ञ नहीं है दूजा ॥
 
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कहँ ‘काका' कविराय, नाम कुछ रोशन कर जा ।
कहँ ‘काका' कविराय, नाम कुछ रोशन कर जा ।
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मरना तो निश्चित है करज़ा लेकर मर जा॥
 
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मरना तो निश्चित है करज़ा लेकर मर जा ॥
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12:08, 18 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

काका या संसार में, व्यर्थ भैंस अरु गाय ।
मिल्क पाउडर डालकर पी लिपटन की चाय ॥
पी लिपटन की चाय साहबी ठाठ बनाओ ।
सिंगल रोटी छोड़ डबल रोटी तुम खाओ ॥
कहँ ‘काका' कविराय, पैंट के घुस जा अंदर ।
देशी बाना छोड़ बनों अँग्रेजी बन्दर ॥
जप-तप-तीरथ व्यर्थ हैं, व्यर्थ यज्ञ औ योग ।
करज़ा लेकर खाइये नितप्रति मोहन भोग ॥
नितप्रति मोहन भोग, करो काया की पूजा ।
आत्मयज्ञ से बढ़कर यज्ञ नहीं है दूजा ॥
कहँ ‘काका' कविराय, नाम कुछ रोशन कर जा ।
मरना तो निश्चित है करज़ा लेकर मर जा॥