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"पूरा दुख और आधा चांद / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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23:32, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

पूरा दुख और आधा चांद
हिज्र की शब और ऐसा चांद

इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चांद

मेरी करवट पर जाग उठे
नींद का कितना कच्चा चांद

सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क़ में सच्चा चांद

रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चांद