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"एक लहर फैली अनन्त की / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

 
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सीधी है भाषा बसन्त की
 
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कभी आँख ने समझी
कभी आंख ने समझी
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कभी कान ने पाई
 
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कभी रोम-रोम से
 
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प्राणों में भर आई
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और है कहानी दिगन्त की।
 
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नई ज्योति छा गई
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कब से प्रतीक्षा थी
 
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वही बात आ गई
वही बात आ गयी
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एक लहर फैली अनन्त की।
 
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एक लहर फैली अनन्त की ।
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10:51, 9 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

सीधी है भाषा बसन्त की

कभी आँख ने समझी
कभी कान ने पाई
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी दिगन्त की।

नीले आकाश में
नई ज्योति छा गई
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली अनन्त की।