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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
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<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : इन फ़िरकापरस्तों की बातों में न आ जाना<br>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[आदिल रशीद]]</td>
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</tr>
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</table>
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<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
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रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा है
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सरहद की सुरक्षा का अब फ़र्ज़ तुम्हारा है
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हमला हो जो दुश्मन का हम जायेगे सरहद पर
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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
जाँ  देंगे वतन पर ये अरमान हमारा है
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
इन फिरकापरस्तों की बातों में न आ जाना
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<div style="text-align: center;">
मस्जिद भी हमारी है , मंदिर भी हमारा है
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
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</div>
  
ये कह के हुमायूँ को भिजवाई थी इक राखी
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
मजहब हो कोई लेकिन तू भाई हमारा है
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
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अपरिचित पास आओ
  
अब चाँद भले काफ़िर कह दें  ये जहाँ वाले
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
जिसे कहते हैं मानवता वो धर्म हमारा है
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा है
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सबमें अपनेपन की माया
सरहद की सुरक्षा का अब फ़र्ज़ तुम्हारा है </pre>
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया