भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सिंधु किनारे / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकार: [[केदारनाथ अग्रवाल]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
[[Category:केदारनाथ अग्रवाल]]
+
|संग्रह=पंख और पतवार / केदारनाथ अग्रवाल
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
  
  
पंक्ति 22: पंक्ति 21:
  
 
बिना विचारे ।
 
बिना विचारे ।
 
 
('पंख और पतवार' नामक कविता-संग्रह से)
 

09:49, 28 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण


सूरज गया,

रात ने अपने पंख पसारे,

निकल पड़े भीतर से बाहर

नभ में तारे,

हाहाकार समय करता है

सिंधु किनारे,

शील-भंग होता लहरों का

बिना विचारे ।